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उस शख्स को भी ओजीडब्ल्यू कह सकते हैं, जो आतंकियों को सुरक्षित मार्ग, घर या किसी तरह की सूचना प्रदान करता है.
लगातार मुंह की खाने के बाद भी पाकिस्तान आतंकवाद फैलाने से बाज नहीं आ रहा. सरकार के पास देश चलाने को पैसा नहीं है और भारी कर्ज लिया जा रहा है. लेकिन इसी पैसे से आतंकवाद को बढ़ावा देने में कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही. पाकिस्तान की खस्ता हालत के बीच यहां की खुफिया एजेंसी आईएसआई (Inter-Services Intelligence) की एक बड़ी साजिश का पर्दाफाश हुआ है. जिससे पता चला है कि पाकिस्तान अब आम नागरिकों को निशाना बनाने की कोशिश में है. पाकिस्तान में बैठे आतंकियों ने कश्मीर में अपने ओवरग्राउंड वर्कर्स (ओजीडब्ल्यू) को कुछ आदेश दिए हैं.
हर ओजीडब्ल्यू से ये कहा गया है कि मुठभेड़ में कम से कम 10 आम नागरिकों की मौत होनी चाहिए. इनसे कहा गया है कश्मीर में सुरक्षा बलों और आतंकियों की मुठभेड़ में आम नागरिकों की जान जानी चाहिए. इसके लिए बकायदा एक पूरी योजना तैयार की गई है (ISI Planning For Kashmir). जिसके तहत आईएसआई का मकसद कश्मीर को एक बार फिर सुलगाना है. इसे एक उदाहरण के जरिए समझते हैं. साल 2018 में आतंकियों के खिलाफ किए गए मुठभेड़ ऑपरेशंस में क्रॉस फायरिंग के दौरान आम लोग भी मारे गए थे. आतंकी आम लोगों के घरों में घुस जाते थे.
करीब 24 नागरिकों की हुई थी मौत
ये उस वक्त की बात है, जब ऑपरेशन ऑलआउट (Operation All Out) अपने चरम पर था. आतंकियों की साजिश के चलते करीब 24 नागरिकों की मौत हो गई थी और 49 घायल हुए थे. हालांकि बीते दो-तीन साल में ये आंकड़ा कम होने लगा. साल 2021 में मुठभेड़ के दौरान क्रॉस फायरिंग (Cross Firing) में महज दो आम नागरिकों की मौत हुई है, जबकि दो को मामूली चोट आई हैं. इसके अलावा जहां 2018 में करीब 318 आतंकी घटनाएं हुई थीं, वहीं 2021 में 121 घटनाएं हुई हैं. यानी पहले के मुकाबले आधी से भी कम.
बेचैन हैं आतंकी और आईएसआई
आम नागरिकों को नुकसान नहीं होने की वजह से पाकिस्तान के आतंकी संगठन और आईएसआई बेचैन हो गए हैं. इसलिए अब ये कुछ ऐसा करने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि ज्यादा से ज्यादा आम नागरिकों की मौत हो. इनका मकसब ओजीडब्ल्यू द्वारा एक बार फिर कश्मीर का माहौल खराब करना है (Kashmir Situation). ताकि आम लोगों को निशाना बनाकर एक बार फिर कश्मीर में दहशत फैलाई जा सके. बता दें ओजीडब्ल्यू (What is OGW) उन्हें कहते हैं जो जम्मू कश्मीर में आतंकियों को मानवीय सहायता, नकद, आवास और दूसरी सुविधाएं प्रदान करते हैं. उस शख्स को भी ओजीडब्ल्यू कह सकते हैं, जो आतंकियों को सुरक्षित मार्ग, घर या किसी तरह की सूचना प्रदान करता है.
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