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फिलहाल आने वाले दिनों में पाकिस्तान की पोल खोलने और आतंकवाद पर उसे बेनकाब करने का भारत का भी ब्लूप्रिंट तैयार है।
पाकिस्तान, अफगानिस्तान में तालिबान पर अपने प्रभाव के चलते कूटनीतिक वार्ताओं में अपनी मांगें थोपकर ब्लैकमेलिंग पर उतारू है। पाकिस्तान अफगानिस्तान पर हो रही वार्ताओं में अनायास कश्मीर को भी घसीटने का प्रयास कर रहा है। सूत्रों के मुताबिक, पाकिस्तान एफएटीएफ की निगरानी सूची से बाहर आने का प्रयास कर रहा है। साथ ही वह चाहता है कि अमेरिका अफगानिस्तान में मदद के एवज में कश्मीर मुद्दे पर भारत पर दबाव बनाए।
आर्थिक मदद को लेकर भी पाकिस्तान की छटपटाहट साफ नजर आ रही है। हालांकि, भारत की सफल कूटनीति के चलते पाकिस्तान तालिबान के मुद्दे पर खुद घिरा हुआ है। लेकिन जानकार मानते हैं कि अमेरिकी सेनाओं की अफगानिस्तान से वापसी के बाद पाकिस्तान की मदद की जरूरत अमेरिका को पड़ सकती है। गौरतलब है कि अमेरिका इस साल के सितंबर माह तक अपनी पूरी सेना को वापस बुलाने की तैयारी कर रहा है। अमेरिका लगातार कार्रवाई भी कर रहा है। अमेरिकी प्रशासन पाक नेतृत्व व सेना प्रमुख जनरल बाजवा से कई बार संपर्क कर चुका है।
विशेषज्ञों की मानें तो पाक उनकी मदद के नाम पर इस मौके का फायदा उठाने का प्रयास कर रहा है। कुछ समय पहले पाक के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने एक बयान में कहा कि अमेरिका पाकिस्तान को अफगानिस्तान के चेहरे से देखना बंद करे। अमेरिका पाकिस्तान में निवेश नहीं कर रहा है। ऐसे में द्विपक्षीय रिश्ते कैसे मजबूत हो सकेंगे। बीते मई माह में जनरल बाजवा ने भी सेना मुख्यालय में अमेरिकी अधिकारियों से मुलाकात की थी।
पाकिस्तान बदले हालात में मोलतोल में जुटा
जानकारों का कहना है कि अमेरिका अफगानिस्तान से जाने के बाद निगरानी के लिए पाकिस्तान-अफगान सीमा के पास एक एयर बेस चाहता है। हालांकि, अमेरिका किर्गिस्तान, तजाकिस्तान और उज्बेकिस्तान से भी एयर बेस की मांग पर बात कर रहा है। मगर सबसे सुविधाजनक पाक का ही एयरबेस है। ये अफगानिस्तान से सबसे करीब है। पाकिस्तान बदले हालात में मोलतोल में जुटा है। साथ ही तालिबान को भी भड़का रहा है। जिससे उसकी अहमियत बनी रहे। फिलहाल आने वाले दिनों में पाकिस्तान की पोल खोलने और आतंकवाद पर उसे बेनकाब करने का भारत का भी ब्लूप्रिंट तैयार है।
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