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पत्रकारों की हत्या के 83 फीसद मामलों को सुलझाया ही नहीं जा सका।
गैर सरकारी अमेरिकी संगठन कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट (CPJ) ने इस साल के ग्लोबल इंप्युनिटी इंडेक्स (GII) में पाकिस्तान को नौवें स्थान पर रखा है। इस वैश्विक सूचकांक में उन देशों को शामिल किया जाता है, जहां पत्रकारों के हत्यारोपित व साजिशकर्ता छुट्टा घूम रहे होते हैं या उनकी सजा माफ कर दी जाती है। जियो न्यूज के मुताबिक, वर्ष 2008 में सूचकांक की शुरुआत से ही पाकिस्तान इसमें शामिल रहा है।
वैश्विक सूचकांक में सोमालिया शीर्ष पर रहा। पिछले साल के मुकाबले सूचकांक में इस बार सीरिया, इराक व दक्षिण सूडान के क्रम में थोड़ा अंतर आ गया है, लेकिन ये तीनों ही पत्रकारों के लिए सबसे खराब व खतरनाक चार देशों में शुमार हैं।
इन देशों में जारी आपसी संघर्ष, राजनीतिक अस्थिरता व कमजोर न्यायिक प्रणाली की वजह से पत्रकारों को आसानी से निशाना बना लिया जाता है। हालांकि, एक सितंबर, 2011 से 31 अगस्त, 2021 तक के हालिया आंकड़े अफगानिस्तान में पत्रकारों के लिए बढ़ रहे खतरों को सही से बयां नहीं कर पाते। इसमें सीरिया भी शामिल है, जहां हिंसक संघर्ष जारी है और आतंकी संगठन व समूह मीडिया कर्मियों को निशाना बनाते रहते हैं।
इन परिस्थितियों में काम करते हुए 278 पत्रकारों को अपनी जान गंवानी पड़ी है। इनमें 226 या 81 फीसद मामलों को सीपीजे ने कंप्लीट इंप्युनिटी करार दिया है। यानी इन मामलों में किसी भी आरोपित को कोई सजा नहीं हुई। पिछले सूचकांक (एक सितंबर, 2010 से 31 अगस्त, 2020) में सीपीजे ने बताया था कि पत्रकारों की हत्या के 83 फीसद मामलों को सुलझाया ही नहीं जा सका।
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