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TTP के सीजफायर तोड़ने के बाद पाकिस्तान को डर
Pakistan TTP Latest News: खूंखार आतंकी संगठन तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के सीजफायर तोड़ने के बाद से पाकिस्तान काफी डरा हुआ है. अफगानिस्तान-पाकिस्तान सीमा पर सक्रिय टीटीपी (TTP Terror Organisation) ने साफ कहा है कि उसके आतंकी कहीं पर भी हमला करने के लिए आजाद हैं. जिसके बाद पाकिस्तान बैक फुट पर चला गया है और अब आतंकियों से बात करने की कोशिश में है. पाकिस्तान के सूचना मंत्री फवाद चौधरी ने कहा है कि वह उन आतंकियों से बात करेंगे, जो पाकिस्तान के संविधान और कानून में विश्वास करते हैं.
पाकिस्तान के इस मंत्री को भला ये बात कौन समझाए कि अगर आतंकी संविधान या कानून में विश्वास करते, तो क्या वह आतंकी होते. इसके अलावा फवाद चौधरी (Fawad Hussain) ने ये भी कहा है कि उनका देश अतीत में आतंकियों से लड़ चुका है और अब भविष्य में भी लड़ता रहेगा. सूचना मंत्री ने लाहौर में भीड़ को संबोधित करते हुए कहा कि अफगानिस्तान वाला तालिबान पाकिस्तान वाले तालिबान पर एक बार फिर दबाव डालेगा, ताकि वह सीजफायर समझौते का पालन करे. चौधरी ने कहा कि उनके अनुसार, टीटीपी समझदार है और बातचीत की टेबल पर जरूर आएगा.
पाकिस्तान पर टीटीपी ने किए हमले
टीटीपी ने एक दशक से भी ज्यादा समय में पाकिस्तान में कई हमले किए हैं, जिसमें हजारों लोग मारे गए. यह कथित तौर पर पाकिस्तान के खिलाफ आतंकवादी हमले करने के लिए अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल करता है. पाकिस्तान की सरकार ने टीटीपी के साथ जो सीजफायर समझौता (Ceasefire Deal) किया है, वह भी खूंखार आतंकी सिराजुद्दीन हक्कानी ने ही करवाया है. जिसे अमेरिका ने मॉस्ट वॉन्टेड आतंकी घोषित किया हुआ है. हक्कानी इस समय तालिबान सरकार में गृह मंत्री है. इससे पहले अफगान तालिबान ने बयान जारी कर कहा था कि उसका टीटीपी यानी पाकिस्तान के तालिबान से कोई लेना देना नहीं है.
तालिबान ने किया टीटीपी से किनारा
तालिबान ने स्पष्ट कहा था कि टीटीपी और उसका अभियान बिलकुल अलग है. तालिबान ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को इस मामले में जरूरी सलाह भी दी थी. अफगान तालिबान के प्रवक्ता जबिउल्लाह मुजाहिद ने एक इंटरव्यू में कहा था कि टीटीपी संगठन अब तालिबान (Taliban on TTP) का हिस्सा नहीं है. उसका और तालिबान का मकसद एक नहीं है. मुजाहिद ने टीटीपी से शांति और स्थिरता बनाए रखने को कहा था. टीटीपी ने शांति बनाए रखने के लिए पाकिस्तान सरकार से तीन मांग की हैं, जिनमें किसी तीसरे देश में राजनीतिक कार्यालय खोलना, खैबर-पख्तूनख्वा प्रांत के साथ संघ प्रशासित जनजातीय क्षेत्रों का विलय ना करना और पाकिस्तान में इस्लामी व्यवस्था लागू करना शामिल है.
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