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इस्लामाबाद। कठिन आर्थिक संकट से जूझ रहे पाकिस्तान को बेलआउट पैकेज नहीं मिला तो भारी कीमत चुकानी पड़ेगी। क्योंकि डिफॉल्ट होने की कगार पर खड़ा पाकिस्तान इतिहास के सबसे गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहा है। ऐसे वक्त में जब पाकिस्तान बेलआउट पैकेज के लिए आईएमएफ के आगे गिड़गिड़ा रहा है, एक हिंसक राजनीतिक संकट का जन्म हुआ है। गौरतलब है कि पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की गिरफ्तारी के बाद से पीटीआई समर्थक विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं और देश जल रहा है। विश्लेषकों की मानें तो यह लंबे समय से अटके बेलआउट पैकेज को हासिल करने की पाकिस्तान की संभावनाओं को कम कर देगा। अगर वक्त रहते पाकिस्तान को यह राशि हासिल नहीं हुई तो उसे भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है। पाकिस्तान की प्रमुख एंटी-करप्शन एजेंसी एनएबी ने मंगलवार को इमरान को गिरफ्तार कर लिया था जिसके बाद देश भर में पीटीआई समर्थकों और पुलिस के बीच हिंसक झड़पें हुईं। वर्तमान राजनीतिक संकट ऐसे समय पर सामने आया है जब देश इतिहास में अपने सबसे बुरे आर्थिक दौर से गुजर रहा है। यहां गृहयुद्ध जैसे हालात बन गए हैं। राजनीतिक और आर्थिक संकट के बीच सबसे ज्यादा खतरा देश के परमाणु बमों पर मंडरा रहा है।
पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार लगातार कम होता जा रहा है और 6.5 बिलियन डॉलर का आईएमएफ कार्यक्रम आगे बढ़ने का नाम नहीं ले रहा है, जो जून में खत्म हो जाएगा। ऊपर से इस साल देश में कई चुनाव होने हैं। वरिष्ठ अर्थशास्त्री गैरेथ लेदर ने कहा कि सड़कों पर प्रदर्शनकारियों के बीच, आईएमएफ ऋण सौदे को फिर से शुरू करने को लेकर और अधिक सतर्क होगा। पिछले साल हुए सत्ता परिवर्तन, जब इमरान खान को कुर्सी से हटाकर शहबाज शरीफ देश के प्रधानमंत्री बने उसके बाद से पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था और बाजारों की हालत चरमरा गई है। पाकिस्तान का रुपया पिछले 12 महीनों में लगभग 50 फीसदी कमजोर हो चुका है। बुधवार को पाकिस्तानी रुपया डॉलर के मुकाबले 289.5 के नए रिकॉर्ड निचले स्तर पर आ गया है। अगर आईएमएफ का समर्थन नहीं मिला तो परमाणु हथियारों से संपन्न देश डिफॉल्ट के जोखिम का सामना कर सकता है।
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