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पाकिस्तानी सेना ने अपने क्षेत्र में ईरान के किसी खुफिया ऑपरेशन को अंजाम देने की खबर को फर्जी करार दिया है.
पाकिस्तान के भीतर ईरान की सर्जिकल स्ट्राइक को लेकर पाकिस्तानी सेना ने सफाई दी है. पाकिस्तानी सेना ने अपने क्षेत्र में ईरान के किसी खुफिया ऑपरेशन को अंजाम देने की खबर को फर्जी करार दिया है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, ईरान की रिवॉल्यूशनरी गार्ड (IRGC) ने 2 फरवरी की रात पाकिस्तान में घुसकर एक ऑपरेशन को अंजाम दिया और अपने सैनिकों को रिहा करा लिया था.
सोमवार को ईरान के ऑपरेशन से जुड़े एक सवाल के जवाब में पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता ने कहा कि ये रिपोर्ट गलत और फर्जी है कि ईरान ने पाकिस्तान में घुसकर साल 2018 में अपहरण कर लिए गए सैनिकों को छुड़ाने के लिए खुफिया ऑपरेशन को अंजाम दिया.
पाकिस्तान में ईरान के ऑपरेशन की खबरों को तब बल मिला था जब ईरान के इस्लामिक रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स कॉर्प्स (आईआरजीसी) ने दावा किया कि उसने बलूचिस्तान में एक सफल ऑपरेशन में आतंकवादी समूह जैश-उल-अदल के चंगुल में फंसे दो सैनिकों को रिहा करा लिया है.
दक्षिण-पूर्व ईरान में IRGC ग्राउंड फोर्स के Quds बेस ने एक बयान में कहा कि, "दो-ढाई साल पहले जैश उल-अदल संगठन द्वारा बंधक बनाए गए अपने 2 बॉर्डर गार्ड को छुड़ाने के लिए 2 फरवरी की रात को एक सफल ऑपरेशन किया गया." बयान के मुताबिक, रिहा कराए गए सैनिकों को सुरक्षित ईरान भेज दिया गया.
तुर्की की प्रमुख समाचार एजेंसी एनाडोलु ने भी ये खबर प्रकाशित की थी. एनाडोलु ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि ईरान की रिवॉल्यूशनरी गार्ड ने पाकिस्तानी सीमा में घुसकर एक सफल ऑपरेशन को अंजाम दिया है. हालांकि, इसे लेकर कोई जानकारी सामने नहीं आई कि इस स्ट्राइक में किन हथियारों का इस्तेमाल किया गया और क्या इसमें आतंकवादी भी मारे गए. ईरान और तुर्की दोनों की ही मीडिया में 'ऑपरेशन' शब्द का इस्तेमाल किया गया था, हालांकि, पाकिस्तानी सेना ने इसे खारिज कर दिया. वैसे पाकिस्तान तो भारतीय वायु सेना की बालाकोट स्ट्राइक से भी इनकार करता रहा है.
पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता मेजर जनरल इफ्तिकार ने भारतीय मीडिया पर भी अपनी भड़ास निकाली. मेजर इफ्तिकार ने कहा कि फर्जी खबरें फैलाने में अब भारत माहिर हो चुका है. ईरान के संबंध में आई खबर पूरी तरह से फर्जी है. ये किसी भी सूरत में ना हो सकता था और ना ही हुआ. मेजर जनरल इफ्तिकार ने कहा कि भारतीय मीडिया अपनी विश्वसनीयता खो चुका है.
रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान के एक कट्टरपंथी वहाबी आतंकवादी संगठन 'जैश उल-अदल' ने 16 अक्टूबर, 2018 को दोनों देशों की सीमा पर बलूचिस्तान प्रांत के मर्कवा शहर में 12 IRGC गार्डों को पाकिस्तानी क्षेत्र में अपहरण कर लिया था. 15 नवंबर, 2018 को पांच सैनिकों को रिहा किया गया. इसके बाद चार और ईरानी सैनिकों को 21 मार्च, 2019 को पाकिस्तानी सेना द्वारा रेस्क्यू किया गया.
बता दें कि ईरान ने जैश उल-अदल को एक आतंकवादी संगठन घोषित किया है जो मुख्यतौर पर दक्षिणी-पूर्वी ईरान में सक्रिय है. यह आतंकवादी संगठन ईरान में कई नागरिक और सैन्य ठिकानों पर हमले कर चुका है. ये आतंकवादी संगठन ईरान में बलूच सुन्नियों के अधिकारों की लड़ाई लड़ने का दावा करता है. ईरान पाकिस्तान पर हमेशा से आरोप लगाता रहा है कि वो सुन्नी कट्टरपंथियों को बढ़ावा देता है.
दक्षिणी-पश्चिमी पाकिस्तान से लेकर दक्षिणी-पूर्वी ईरान तक, इस आतंकवादी संगठन ने सीमा पार कई हमलों को अंजाम दिया है. ईरान के बासजी पैरामिलिट्री बेस पर फरवरी 2019 को हुए हमले की जिम्मेदारी भी जैश-उल-अदल ने ली थी. इस हमले के दौरान जैश उल-अदल ने रिवॉल्यूशनरी गार्ड के दर्जनों सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया था.
अगर ईरान की खुफिया एजेंसी ने पाकिस्तानी सीमा में ऑपरेशन को अंजाम दिया है तो ये पाकिस्तान के लिए सख्त संदेश है कि ईरान पाकिस्तान के आतंकी संगठनों के हमलों को और बर्दाश्त नहीं करेगा. ईरान पर अब ट्रंप सरकार का दबाव भी नहीं है, ऐसे में वो ज्यादा आक्रामकता के साथ अपनी विदेश नीति पर आगे बढ़ सकता है.
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