x
नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। वह सबसे कम उम्र की नोबेल पुरस्कार विजेता हैं।
भारत के कर्नाटक राज्य में स्कूलों में मुस्लिम लड़कियों के हिजाब पहनने को लेकर चल रहे विवाद में अब पाकिस्तान सरकार भी कूद पड़ी है। इमरान खान सरकार के सूचना मंत्री फवाद चौधरी ने पीएम मोदी और भारत को लेकर जहरीले बयान दिए हैं। फवाद चौधरी ने कहा कि मोदी के भारत में जो कुछ चल रहा है, वह डरावना है। भारती समाज एक अस्थिर नेतृत्व के अंतर्गत बहुत तेजी से पतन की ओर जा रहा है।
पाकिस्तानी मंत्री फवाद चौधरी ने ट्वीट करके कहा, 'मोदी के भारत में जो कुछ चल रहा है, वह डरावना है। भारतीय समाज अस्थिर नेतृत्व में सुपर स्पीड से पतन की ओर जा रहा है। हिजाब पहनना अन्य ड्रेस की तरह से एक निजी पसंद का मामला है। नागरिकों को मुक्त होकर अपने फैसले लेने का अधिकार दिया जाना चाहिए। अल्लाह हू अकबर।' फवाद चौधरी का यह बयान ऐसे समय पर आया है जब पाकिस्तान में जन्मी नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मलाला यूसुफजई ने भी कहा है कि लड़कियों का हिजाब पहनकर स्कूलों में घुसने से रोकना भयावह है।
मलाला ने भारतीय नेताओं को दी नसीहत
What's going on in #ModiEndia is terrifying, Indian Society is declining with super speed under unstable leadership. Wearing #Hujab is a personal choice just as any other dress citizens must be given free choice #AllahHuAkbar
— Ch Fawad Hussain (@fawadchaudhry) February 8, 2022
मलाला ने एक ट्वीट करके कहा, 'हिजाब पहने हुई लड़कियों को स्कूलों में एंट्री देने से रोकना भयावह है। कम या ज्यादा कपड़े पहनने के लिए महिलाओं का वस्तुकरण किया जाता है। भारतीय नेताओं को मुस्लिम महिलाओं को हाशिये पर जाने से रोकना चाहिए।' मलाला ही नहीं पाकिस्तान से बड़ी संख्या में ट्वीट हिजाब को लेकर किए जा रहे हैं। इनमें से कई ऐसे हैं जो भारतीय समाज में वैमनस्य बढ़ाने वाले हैं।
हिजाब को लेकर मचा यह पूरा बवाल कर्नाटक का है जहां कुछ लड़कियों ने आरोप लगाया कि हिजाब पहनने के चलते उन्हें कैंपस और क्लास में प्रवेश नहीं करने दिया गया। हिजाब को लेकर प्रदर्शन पिछले महीने कर्नाटक के उडुपी में सरकारी प्री-यूनिवर्सिटी महिला कॉलेज से शुरू हुआ था। कॉलेज की छह छात्राओं ने आरोप लगाया गया कि हिजाब पहनने के चलते उन्हें क्लास में एंट्री देने से मना कर दिया गया।
सबसे युवा नोबेल पुरस्कार विजेता
मलाला यूसुफजई का जन्म पाकिस्तान में हुआ था। 2012 में मलाला तालिबान की गोली का निशाना बनी थीं। तब उनकी उम्र सिर्फ 11 साल थी। वह हमेशा से पाकिस्तान में महिलाओं के अधिकारों को लेकर आवाज उठाती रही हैं। 2014 में लंबे इलाज के बाद मलाला ब्रिटेन में अपने परिवार के पास लौटीं और अपने पिता की मदद से उन्होंने मलाला फंड की स्थापना की। उनके कामों को देखते हुए 2014 में उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। वह सबसे कम उम्र की नोबेल पुरस्कार विजेता हैं।
Next Story