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पाकिस्तान में महिला कार्यकर्ताओं के वाहन पर हमला
पाकिस्तान (Pakistan) में संदिग्ध आतंकवादियों (Militants) ने एक समूह ने सोमवार को महिला कार्यकर्ताओं (Women Activists) को ले जा रहे वाहन पर हमला कर चार महिलाओं की हत्या कर दी. पुलिस ने बताया कि ये घटना अफगानिस्तान (Afghanistan) से लगने वाली देश की उत्तर-पूर्व सीमा के आदिवासी इलाके में हुई. उन्होंने बताया कि एक गैर-सरकारी संगठन (NGO) की महिला कार्यकर्ताओं को वाहन के जरिए ले जाया जा रहा था, तभी उनके वाहन पर आतंकियों ने हमला कर दिया. इसमें चार महिलाओं की मौत हो गई और ड्राइवर घायल हो गया.
स्थानीय पुलिस अधिकारी इकबाल खान ने बताया कि यह हमला उत्तरी वजीरिस्तान (North Waziristan) जिले के एक शहर मीर अली के इपी गांव में हुआ. जिले के पुलिस प्रमुख शफीउल्लाह खान ने हमले की पुष्टि की. उन्होंने कहा, पुलिस ने हमलावरों का पता लगाने और उन्हें गिरफ्तार करने के प्रयास में एक खोज अभियान शुरू कर दिया है. हमलावर घटना को अंजाम देने के बाद पहाड़ी की तरफ भाग गए. अभी तक किसी भी आतंकी संगठन ने इसकी जिम्मेदारी नहीं ली है.
महिला अधिकारों के बारे में जागरूक करती थीं मारी गई महिलाएं
अधिकारियों ने बताया कि मारी गई महिलाएं 'सबावून पाकिस्तानी चैरिटी' (Sabawoon Pakistani charity) से थीं. ये अपने घरों में व्यापार करने में रुचि रखने वाली महिलाओं को ट्रेनिंग मुहैया कराती थीं. इसके अलावा, उन्हें महिला अधिकारों के बारे में जागरूक करती थीं. महिला कार्यकर्ताओं ने खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के बन्नू शहर से मीर अली की यात्रा की थीं. सोशल मीडिया पर पाकिस्तानी मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने इस घटना की निंदा की है. लोगों ने घटना के जिम्मेदार लोगों के खिलाफ त्वरित कार्रवाई की मांग की है.
तालिबान गढ़ वाले इलाके में जमा हो रहे हैं आतंकी
पुलिस ने कहा कि आतंकियों को मालूम था कि महिलाएं यहां आने वाली हैं, इसलिए वे पहले से घात लगाकर बैठे हुए थे. हाल के महीनों में पाकिस्तानी आतंकियों ने इस क्षेत्र में सक्रियता बढ़ाई है. इस बात का अंदेशा बना हुआ है कि वे तालिबान का गढ़ रहे इस इलाके में फिर से बढ़त हासिल करने में जुटे हुए हैं. अफगानिस्तान की सीमा से लगे पूर्व कबायली क्षेत्रों में आतंकवादी अक्सर पाकिस्तानी सैनिकों पर हमला करते रहे हैं. उत्तरी और दक्षिणी वजीरिस्तान जिलों ने स्थानीय और विदेशी आतंकवादियों के लिए मुख्य आधार के रूप में कार्य किया. हालांकि सेना ने 2015 में क्षेत्रों को अपने कब्जे में ले लिया और आतंकियों को खदेड़ दिया.
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