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अध्ययन का निष्कर्ष 20 से 30 वर्ष उम्र वर्ग वाले युवाओं की दृष्टि से ज्यादा चिंताजनक है, क्योंकि इनमें बढ़े हुए बीपी का मस्तिष्क पर असर दिखने में समय लगता है।
यदि ब्लड प्रेशर आप्टिमल यानी नार्मल या सामान्य स्तर से भी थोड़ा कम रहे तो आपका न सिर्फ कई गंभीर बीमारियों से बचाव या उसका जोखिम कम हो सकता है, बल्कि आप दिमाग से भी जवान रह सकते हैं। इसलिए यदि आप अपने सामान्य ब्लड प्रेशर से ही संतुष्ट होते हैं, तो उस पर पुनर्विचार करने की जरूरत है।
इसी संदर्भ में आस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी (एएनयू) के विज्ञानियों ने अपने शोध में पाया है कि आप्टिमल ब्लड प्रेशर हमारे मस्तिष्क को वास्तविक उम्र से कम से कम छह माह 'युवा' रखने में मदद करता है। शोधकर्ताओं ने कहा है कि उनके इस शोध के निष्कर्षों को परिलक्षित करते हुए राष्ट्रीय स्वास्थ्य दिशा-निर्देशों को अपडेड किया जाना चाहिए।
फ्रंटियर्स इन एजिंग न्यूरोसाइंस जर्नल में प्रकाशित एएनयू के इस शोध में यह भी बताया गया है कि चूंकि हाई ब्लड प्रेशर जल्दी 'बूढ़ा' बनाता है, इसलिए मस्तिष्क भी कमजोर होता है, जिससे हार्ट डिजीज, स्ट्रोक और डिमेंशिया का जोखिम भी बढ़ता है। एएनयू सेंटर फार रिसर्च आन एजिंग, हेल्थ एंड वेलबीइंग के प्रोफेसर निकोलस चेरबुइन ने कहा कि यह सोचना पूरी तरह सच नहीं है कि हाई ब्लड प्रेशर के कारण ही बाद में मस्तिष्क बीमार होता है। बल्कि यह उन लोगों में भी शुरू हो जाता है, जिनका ब्लड प्रेशर सामान्य रहता है।
अध्ययन के सह-लेखक वाल्टर अभयरत्न ने बताया कि यदि हम अपना ब्लड प्रेशर आप्टिमल बनाए रखते हैं तो यह हमारे मस्तिष्क को युवा और स्वस्थ रखने में मददगार होता है। जिन लोगों का ब्लड प्रेशर 135/85 बना रहा, उनकी तुलना में आप्टिमल ब्लड प्रेशर- 110/70 वाले मध्य आयु वर्ग के लोगों का मस्तिष्क छह महीने से ज्याद युवा पाया गया। शोधकर्ताओं ने 44 से 76 वर्ष उम्र वर्ग के 686 स्वस्थ लोगों के 2000 से ज्यादा ब्रेन स्कैन का अध्ययन किया। शोध के दौरान 12 वर्षो तक प्रतिभागियों का रोजाना चार बार तक ब्लड प्रेशर मापा गया। ब्लड प्रेशर डाटा और ब्रेन स्कैन का इस्तेमाल मस्तिष्क की उम्र और स्वास्थ्य आकलन के लिए किया गया। अध्ययन का निष्कर्ष 20 से 30 वर्ष उम्र वर्ग वाले युवाओं की दृष्टि से ज्यादा चिंताजनक है, क्योंकि इनमें बढ़े हुए बीपी का मस्तिष्क पर असर दिखने में समय लगता है।
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