भारत के नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) को लेकर शुरू से ही बांग्लादेश के मुस्लिम समुदाय की ओर से विरोध दर्ज कराया गया है लेकिन अब वहां के एक हिंदू नेता ने भी इसका विरोध किया है.
बांग्लादेश के एक प्रमुख हिंदू नेता ने कहा कि भारत का नया सीएए कानून बांग्लादेश के हिंदू अल्पसंख्यकों की चुनौतियों से निपटने में मदद नहीं करेगा.
उनका यह बयान ऐसे समय में सामने आया है, जब देश के इस्लामिक कट्टरपंथी पैगंबर मोहम्मद पर विवादित बयान को लेकर लामबंद हैं.
बांग्लादेश पूजा उद्यापन परिषद के उपाध्यक्ष मोनिंदर कुमार नाथ ने कहा कि हालांकि, शेख हसीना सरकार का रवैया देश में अल्पसंख्यकों को लेकर मैत्रीपूर्ण रहा है. वह मंदिरों पर हमले रोकने और अल्पसंख्यकों की जमीन हड़पने के मामले सुलझाने को लेकर सक्रिय रही है.
देश के 64 जिलों में धार्मिक आयोजनों की निगरानी करने वाले नाथ ने ढाकेश्वरी मंदिर में भारतीय पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा, हम सीएए का स्वागत नहीं करते. हम इस कानून के पक्ष में नहीं है क्योंकि इस तरह के कानूनों से कोई लाभ नहीं होता.
बांग्लादेश हिंदू बौद्ध ईसाई एकता परिषद के संयुक्त महासचिव नाथ ने कहा कि जब लोगों पर हमले किए जाते हैं या उन्हें अत्यधिक प्रताड़ना का सामना करना पड़ता है तो वे अपनी मातृभूमि छोड़कर भागने को मजबूर होते हैं.
नाथ ने कहा, बांग्लादेश हमारी जन्मभूमि है और हमें यहीं रहना चाहिए. हमें हमारी समस्याओं को सुलझाना चाहिए.
बता दें कि भारत की संसद में 2019 में CAA पारित किया गया था. इस कानून के तहत अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान में सताए गैर मुस्लिम अल्पसंख्यकों को भारत की नागरिकता देने का प्रावधान है. हालांकि, इस कानून के नियम अभी बनने बाकी हैं.
नाथ ने कहा, बांग्लादेश के हिंदू अल्पसंख्यकों की समस्याएं सुलझाने के लिए सरकार को उचित कदम उठाने चाहिए.
उन्होंने कहा, अल्पसंख्यकों के अनुकूल कानून बनाकर, अल्पसंख्यक आयोग और अल्पसंख्यक मंत्रालय का गठन करने जैसे प्रशासनिक कदमों के जरिये ऐसा किया जा सकता है.
उन्होंने कहा, नौकरशाही और कानून प्रवर्तन संगठनों में हिंदुओं की भागीदारी बढ़ी है लेकिन हमें अल्पसंख्यक मंत्रालय की जरूरत है.
मौजूदा समय में बांग्लादेश में धार्मिक मामलों का मंत्रालय है, जो मंदिरों और चर्चों की देखरेख जैसे अल्पसंख्यक समुदायों से जुड़े मामलों को देखता है.
पैगंबर मोहम्मद पर बीजेपी के प्रवक्ताओं के विवादित बयान को लेकर देश में बीते शुक्रवार से ही विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. मुख्य रूप से ये प्रदर्शन जमीयत-ए-इस्लामी द्वारा आयोजित किए गए.
बांग्लादेश सरकार ने इन विरोध प्रदर्शनों पर लगाम लगाने के प्रयास किए.
बांग्लादेश के सूचना मंत्री हसन महमूद ने इसे बाहरी मामला बताते हुए पैगंबर मोहम्मद पर विवादित बयान देने वाले नेताओं पर बीजेपी की कड़ी कार्रवाई को सराहा.
सत्तारूढ़ अवामी लीग पार्टी की धार्मिक मामलों की उपसमिति के प्रमुख गुलाम मौला नक्शबंदी ने कहा, बांग्लादेश सरकार ने बीते साल अक्टूबर में दुर्गा पूजा पंडालों पर हुए हमलों के बाद तुरंत कार्रवाई की थी.
उन्होंने कहा, जबकि बीजेपी ने पैगंबर मोहम्मद पर विवादित बयान के लगभग 10 दिन बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हुई किरकिरी के बाद आरोपी नेताओं को हटाया.
उन्होंने कहा, जब भी भारत में अल्पसंख्यकों के साथ कुछ होता है, बांग्लादेश में उस पर प्रतिक्रिया की संभावना है. हमारी सरकार इस तरह की शरारतों को रोकती है.