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लंदन में हो रहा China के नए और बेहद आलीशान दूतावास का विरोध, जानें क्यों

Gulabi
1 Dec 2020 4:38 PM GMT
लंदन में हो रहा China के नए और बेहद आलीशान दूतावास का विरोध, जानें क्यों
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चीन ब्रिटेन में अपना भव्य दूतावास बनाने की तैयारी में है.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। चीन ब्रिटेन में अपना भव्य दूतावास बनाने की तैयारी में है. इसके लिए लंदन के बीचोंबीच एक ऐतिहासिक इमारत की खरीदी हुई और इसपर काम भी शुरू हो गया. हालांकि अब चीनी अधिकारियों और कर्मचारियों को वहां भारी विरोध का सामना करना पड़ रहा है. अब चीन को संदेह हो रहा है कि भारी कीमत पर खरीदी गई जगह और इमारत कहीं बेकार न चले जाएं.


रॉयल मिंट कोर्ट (Royal Mint Court) नाम से इस जगह को बीजिंग ने लगभग ढाई साल पहले 225 मिलियन डॉलर में खरीदा था. इसके पीछे उसकी मंशा थी कि बड़ी और महत्वपूर्ण जगह पर आकर वो अपनी कूटनीति ब्रिटेन और यूरोपियन देशों में भी फैला सके. बता दें कि फिलहाल यूरोपीय देश चीन से खास प्रभावित नहीं. ऐसे में विदेश नीति के मामले में चीन को ताकतवर साथी नहीं मिल पाते हैं. यही देखते हुए चीन ने सबसे पहले ब्रिटेन में अपना शानदार दूतावास तैयार करने की सोची.

फिलहाल चीन का दूतावास लंदन के वेस्ट एंड इलाके में है. वहीं नई जगह लंदन का हार्ट कहलाती है. साथ ही ये जगह 19वीं सदी का चाइना टाउन रही है. इस जगह को लेने से पहले चीन के सालों अलग-अलग जगहों को देखा. इसके बाद जाकर इस जगह के बारे में सोचा और खरीदने के लिए भारी कीमत भी चुकाई.




रॉयल मिंट कोर्ट की पुरानी इमारत- फोटो (geograph)

अब यही खरीदी उसके लिए गले की हड्डी बन गई है. असल में इस साइट के ऐन पीछे जो आबादी है, उसमें मेजोरिटी मुस्लिम हैं. वे चीन में उइगर मुसलमानों से बुरे सुलूक और हिंसा की खबरों पर काफी भड़के हुए हैं. ढेरों लोग साइट के चारों ओर जमा होकर प्रदर्शन कर रहे हैं. उनके साथ दूसरे महजब के स्थानीय लोग भी शामिल हो चुके हैं.

खुद ब्रिटिश अधिकारी मानते हैं कि ढाई साल पहले जब साइट की खरीदी हुई थी, तब और अब में काफी फर्क आ गया. तब चीन ने इसके लिए मुंहमांगी कीमत दी थी और ब्रिटेन ने भी इसे अजीब तरीके से नहीं लिया था. लंदन में चीन के राजदूत ल्यू शियोमिंग ने कहा था कि दूतावास किसी देश का चेहरा होता है. और इस तरह से उसने आश्वस्त किया था कि चीन ब्रिटेन को कुछ और बेहतर ही देगा. यहां तक कि रॉयल मिंट दूतावास को राजदूत ने चाइना-यूके गोल्डन इरा तक कहा था.

अब चीन के खिलाफ माहौल गरम है. कोरोना को लेकर लोग पहले से ही चीन पर लापरवाही का आरोप लगा रहे थे. इसपर उइगर मुस्लिमों के खिलाफ चीन के शिनजिंयाग प्रांत में हिंसा की खबरें आएदिन इंटरनेशनल मीडिया की सुर्खियों में है. माना जा रहा है कि वहां रहने वाले 10 लाख मुस्लिम चीनी सरकार के रडार पर हैं. बहुतेरों को डिटेंशन कैंपों में रखा जा रहा है. वहां उन्हें धर्म बदलने और चीनी संस्कृति अपनाने का दबाव बनाया जाता है. डिटेंशन कैपों से बचकर भाग निकले लोगों ने भी खुद मीडिया में ऐसे बयान दिए. तब से चीन मानवाधिकार संस्थाओं से लेकर लगभग सभी देशों से गुस्से का शिकार हो रहा है. अमेरिका भी इस मामले में लगातार धमकियां दे रहा है कि चीन मुसलमानों के साथ अपना रवैया सुधार ले.

चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग भी लगातार आरोपों के घेरे में हैं


अब चीनी दूतावास के सामने प्रदर्शन ब्रिटेन में चीन के आलीशान दूतावास के सपने पर पानी फेर सकता है. चीन ने दूतावास ने प्लेकार्ड्स लिए और नारे लगाते प्रदर्शनकारियों की कड़ी आलोचना की लेकिन ब्रिटेन ने लगभग चुप्पी साधे रखी. साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की एक रिपोर्ट के मुताबिक ब्रिटिश राजनेताओं और वहां के फॉरेन सेक्रेटरी डोमिनिक रैब ने कहा कि लोगों को अपनी बात कहने और शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने का पूरा हक है.

वैसे दूतावास के नाम पर चीन आजकल काफी घिरा हुआ दिखता है. जून-जुलाई के समय भी अमेरिका के ह्यूस्टन में चीनी दूतावास को लेकर काफी बवाल हुआ था. वहां के राजदूतों और स्टाफ पर अमेरिका की जासूसी का आरोप लगाते हुए अमेरिका ने दूतावास बंद करने का आदेश दे दिया था. एफबीआई ने 25 से अधिक अमेरिकी शहरों में चीन से आए वीजा धारकों से पूछताछ की थी. इन सभी पर चीनी सेना से संबंधों को घोषित नहीं करने का संदेह था. राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए सहायक अटॉर्नी जनरल जॉन सी. डेमर्स ने कहा, 'चीन की पीपल लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के इन सदस्यों ने पीएलए से संबद्ध होने की बात छुपाते हुए वीजा के लिए आवदेन दिया था.'

इसी साल अमेरिका से भी चीन का एक दूतावास बंद करवाया जा चुका है - सांकेतिक फोटो (needpix)


दूतावास बंद करवाना काफी बड़ी घटना है क्योंकि आमतौर पर देश युद्ध के दौरान ही ऐसा करते हैं और उसमें भी डिप्लोमेटिक इम्युनिटी मिली होती है. अमेरिका ने बिना वक्त दिए आनन-फानन दूतावास खाली करवा दिया था. इससे भड़के हुए चीन ने भी बदले की कार्रवाई करते हुए चेंगदू स्थित अमेरिकी दूतावास को खाली करने का आदेश दे दिया.

एंबेसी का बंद किया जाना पहली बार नहीं
कई बार दो देशों के बीच तनाव के दौरान इस तरह की घटनाएं हो चुकी हैं. ये एक तरह का संकेत है कि दो देशों के बीच तनाव इतना है कि अब वे किसी तरह का कूटनीतिक संबंध नहीं चाहते हैं. कई बार दो देशों का तनाव वहां के नागरिकों पर भी हावी हो जाता है. ऐसे में वे एंबेसी पर हमला भी कर देते हैं. कई बार ऐसी घटनाएं होती आई हैं. इन हालातों में जिस देश में एंबेसी है यानी होस्ट कंट्री की ये ड्यूटी होती है कि वे एंबेसी और उसके स्टाफ को किसी भी नुकसान से बचाएं. इसके लिए वे पुलिस और सेना की मदद भी ले सकते हैं. अगर वे ऐसी नहीं कर सके तो दो देशों के बीच तनाव काफी बढ़ सकता है.


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