गुरुद्वारे पर हमले से सदमे में आए सिख समुदाय के नेताओं ने बताया कि तालिबान शासित अफगानिस्तान में अब सिर्फ 20 सिख परिवार बचे हैं। इनके सभी सदस्यों को मिलाकर पूरे देश में महज 140-150 सिख ही बाकी हैं। इनमें से ज्यादातर पूर्वी शहर जलालाबाद और राजधानी काबुल में रहते हैं।
पझोक न्यूज की एक रिपोर्ट में सोशल मीडिया के हवाले से दावा किया गया है कि हमले के बाद गुरुद्वारे से गुरुग्रंथ साहिब स्वरूप को सही-सलामत निकालकर गुरुद्वारा समिति के अध्यक्ष गुरुनाम सिंह के घर पहुंचा दिया गया है।
अफगानिस्तान में पिछले साल तालिबान के सत्ता पर काबिज होने के बाद सिखों और अन्य अल्संख्यक पर आए दिन हमले हो रहे हैं। जिस गुरद्वारे पर आतंकी हमला किया गया, वह काफी समय से आतंकवादियों के निशाने पर है। इससे पहले बीते वर्ष अक्तूबर माह में भी कर्ता-ए-परवान गुरुद्वारे पर आतंकियों ने हमला किया था। वहीं, मार्च 2020 में गुरुद्वारा हर राई साहिब में हुए हमले में 25 लोग मारे गए थे।
प्रार्थना से आधे घंटे पहले हुआ हमला
गुरुद्वारे के पास ही रहने वाले कुलजीत सिंह खालसा ने बताया कि उनका घर गुरुद्वारे के ठीक सामने है। जैसे ही उन्होंने गोलीबारी की आवाज सुनी तो खिड़की से बाहर देखा। वहां अफरा-तफरी मची थी और हमलावर तालिबान चेकपोस्ट के पास खड़ी एक कार के अंदर छिपा था। इसके बाद कार में हुए धमाके से वहां तैनात तालिबान के गार्ड की मौत हो गई और आसपास की दुकानें और घर क्षतिग्रस्त हो गए। यह हमला सुबह की प्रार्थना शुरू होने से करीब आधा घंटा पहले हुआ। हमले के वक्त करीब 30 लोग गुरुद्वारे में मौजूद थे। हमला प्रार्थना शुरू होने के बाद होता तो ज्यादा लोगों के चपेट में आने की आशंका थी।
भारत से मदद की गुहार
हमले के बाद सिख समुदाय दहशत में है। हमले के पीड़ितों का कहना है कि सभी लोग जल्द से जल्द अफगानिस्तान से निकलना चाहते हैं, लेकिन भारत सरकार उन्हें वीजा नहीं दे रही है। इस कारण वह फंसे हैं।
ई-वीजा तेजी से मुहैया कराएगा भारत
सरकारी सूत्रों ने बताया कि फिलहाल गृह मंत्रालय ने अल्पसंख्यकों के एक समूह को ई-वीजा मुहैया कराया है। जरूरत पड़ने पर इस काम में तेजी लाई जाएगी। नई दिल्ली ने बैक डोर चैनल से अफगानिस्तान की तालिबान सरकार के समक्ष अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को लेकर चिंता जताई है। गृह मंत्रालय में देररात उच्च स्तरीय बैठक हुई।