रोजगार आधारित करीब एक लाख ग्रीन कार्डों के दो महीने के भीतर बर्बाद हो जाने को लेकर भारतीय आईटी पेशेवर अमेरिका सरकार से खफा है। इन पेशेवरों का अमेरिका में वैध स्थायी निवास का सपना अब कई सालों के लिए बढ़ गया है।
स्थायी निवास कार्ड के तौर पर पहचाना जाने वाला ग्रीन कार्ड आव्रजकों को सुबूत के तौर पर जारी दस्तावेज है, जो धारक को अमेरिका में स्थायी निवास की सहूलियत देता है। ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि इस साल आव्रजकों के लिए रोजगार आधारित कोटा 2,61,500 ही है, जो 1,40,000 के सामान्य तौर पर कोटे से काफी ज्यादा है। भारतीय पेशेवर संदीप पवार के अनुसार, दुर्भाग्य से, कानून के तहत, अगर ये वीजा 30 सितंबर तक जारी नहीं किए जाते, तो हमेशा के लिए बर्बाद हो जाते हैं।
उन्होंने बताया, अमेरिकी नागरिकता एवं आव्रजन सेवा (यूएससीआईएस) की वीजा प्रक्रिया की मौजूदा गति दिखाती है कि वे एक लाख से ज्यादा ग्रीन कार्ड बेकार कर देंगे। वीजा उपयोग निर्धारित करने वाले विदेश मंत्रालय के प्रभारी ने भी इस तथ्य की हाल में पुष्टि की थी। इस संबंध में, व्हाइट हाउस ने सवालों का जवाब नहीं दिया है।
कार्ड बर्बाद होने से रोकने के लिए किया केस
अमेरिका में रह रहे 125 भारतीयों एवं चीनी नागरिकों ने प्रशासन द्वारा ग्रीन कार्ड बर्बाद होने से रोकने के लिए एक मुकदमा दायर किया है। पवार ने कहा, अधिकतर संभावित लाभार्थी भारत से हैं, एक ऐसा देश जो स्वाभाविक रूप से नस्लवादी व भेदभावपूर्ण प्रति-देश कोटा के कारण सबसे पीछे है। कई पेशेवरों के जीवनसाथी (महिलाएं) नौकरी नहीं कर पाएंगी। इनमें कई बच्चे भी हैं, जिन्हें खुद अमेरिका छोड़कर जाने पर मजबूर होना पड़ेगा।
बाइडन से आव्रजन कानूनों में सुधार की मांग
राष्ट्रपति जो बाइडन से एक प्रतिनिधिमंडल में मिलने वाले इम्पैक्ट के कार्यकारी निदेशक नील मखीजा ने बताया कि उन्होंने बाइडन से ग्रीन कार्ड सीमा और कोटा को समाप्त करके आव्रजन कानूनों में सुधार करने और सभी 'ड्रीमर्स' की सुरक्षा के लिए वीजा धारकों के दो लाख बच्चों को शामिल करने की मांग की। काटो इंस्टीट्यूट में शोधार्थी डेविड ने आरोप लगाया, ग्रीन कार्डों की बर्बादी के लिए बाइडन प्रशासन जिम्मेदार है।