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ओमिक्रोन ने कोरोना संक्रमण के लक्षणों को बदलकर रख दिया, गले में खराश की है नई शिकायत

Subhi
16 Jan 2022 12:42 AM GMT
ओमिक्रोन ने कोरोना संक्रमण के लक्षणों को बदलकर रख दिया, गले में खराश की है नई शिकायत
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कोरोना के ओमिक्रोन वैरिएंट ने संक्रमण के लक्षणों को पूरी तरह से बदलकर रख दिया है। अब मात्र 13 प्रतिशत संक्रमितों में ही स्वाद और सुगंध जाने की शिकायतें मिल रही हैं।

कोरोना के ओमिक्रोन वैरिएंट ने संक्रमण के लक्षणों को पूरी तरह से बदलकर रख दिया है। अब मात्र 13 प्रतिशत संक्रमितों में ही स्वाद और सुगंध जाने की शिकायतें मिल रही हैं। 80 प्रतिशत संक्रमितों को गले में खराश की शिकायतें हो रही हैं। सरकारी विज्ञानियों द्वारा किए गए एक विश्लेषण में यह पाया गया है कि तीन महीने पहले की तुलना में अब 80 प्रतिशत संक्रमितों को गले में खराश की शिकायत हो रही है।

तीन महीने पहले जब डेल्टा वैरिएंट ज्यादा प्रभावी था तब 34 प्रतिशत संक्रमितों में स्वाद और गंध के जाने की शिकायतें मिल रही थीं। डेली मेल की रिपोर्ट के मुताबिक नाक बहना, बुखार और खांसी की शिकायत पहले की तरह ही ओमिक्रोन से संक्रमण में भी देखने को मिल रही हैं। यूके हेल्थ सिक्योरिटी एजेंसी (यूकेएचएसए) का यह विश्लेषण ओमिक्रोन के 1.74 लाख और डेल्टा के 87,930 मामलों पर आधारित है।

कोरोना के लक्षणों के बारे में अध्ययन करने वाले किंग्स कालेज लंदन के विज्ञानियों ने सरकार से कोरोना की चेतावनी देने वाले आधिकारिक लक्षणों की सूची में गले में खराश को भी तत्काल प्रभाव से शामिल करने को कहा है। अमेरिका के रोग नियंत्रण एवं रोकथाम केंद्र (सीडीसी) ने कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए एन95 और केएन95 मास्क पहनने की सलाह दी है। सीडीएस के साथ ही स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी लोगों को इस तरह के मास्क पहनने के लिए प्रोत्साहित भी कर रहे हैं। सीडीएस ने अपनी नवीनतम गाइडलाइंस में कहा है कि एन95 और केएन95 मास्क अधिक सुरक्षा प्रदान करते हैं।

हालांकि, सीडीसी के अधिकारियों ने कहा कि कुछ ज्यादा कड़े मास्क भी मिल रहे हैं। लोगों को मास्क खरीदते समय इसका ध्यान रखना चाहिए और ऐसा मास्क खरीदना चाहिए जिसे वो नियमित तौर पर अधिक देर तक पहन सकें। सीडीसी की प्रवक्ता क्रिस्टीन नार्डलैंड ने कहा, 'हमारा प्रमुख संदेश यही है कि बिना मास्क के रहने से अच्छा है कोई भी मास्क पहना जाए।' बता दें कि अमेरिका में ओमिक्रोन वैरिएंट के चलते मामले बहुत तेजी से बढ़ रहे हैं। अमेरिकी अस्पतालों में डेढ़ लाख से भी ज्यादा मरीज हो गए हैं और अब स्टाफ की कमी होने लगी है।



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