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नेपाल (Nepal) के कार्यवाहक प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली (KP Sharma Oli) की मुसीबतें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं
नेपाल (Nepal) के कार्यवाहक प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली (KP Sharma Oli) की मुसीबतें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. देश की सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने ओली को उनके खिलाफ दायर अवमानना के मामले में एक लिखित जवाब के साथ कोर्ट में उपस्थित रहने का आदेश दिया है. नेपाली सुप्रीम कोर्ट ने ओली को जवाब दाखिल करने के लिए सात दिन का समय दिया है. गौरतलब है कि प्रधानमंत्री के खिलाफ अदालत की अवमानना के दो मामले मंगलवार को दर्ज किए गए.
देश के वरिष्ठ वकील कुमार शर्मा आचार्य और वकील कंचन कृष्णा नुपाने ने ओली के खिलाफ अवमानना का मामला दर्ज करवाया. ओली पर आरोप है कि उन्होंने अदालत के वकीलों के खिलाफ अपमानजक टिप्पणी की और कोर्ट को प्रभावित करने का प्रयास किया. मंगलवार को आचार्य ने कहा, दो दिनों बाद, आज सुप्रीम कोर्ट के अधिकारियों ने मेरी याचिका को दायर किया है. वह रविवार को ही इस संबंध में मामला दर्ज करवाना चाह रहे थे, लेकिन इसमें असफल रहे.
कैडर्स को संबोधित करते हुए ओली ने की कोर्ट के खिलाफ टिप्पणी
दरअसल, 22 जनवरी को अपने कैडर्स को संबोधित करते हुए केपी शर्मा ओली ने संसद को भंग करने के अपने कदम का बचाव किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि उनके इस कदम को लेकर वकील घृणा फैलाने का काम कर रहे थे, जबकि संविधान में संसद को फिर से चालू करने के लिए कोई प्रावधान नहीं है. ओली ने वरिष्ठ वकील और नेपाल बार एसोसिएशन के पूर्व चेयरमैन कृष्णा प्रसाद भंडारी को लेकर चुटकी लेते हुए कहा कि याचिकाकर्ता 'दादा' वकील को फिर परेशान कर रहे हैं.
20 को ओली ने किया था संसद को भंग
वहीं, 94 वर्षीय भंडारी ने 17 जनवरी को याचिकर्ताओं की ओर से संसद को भंग करने के मामले में अपने पक्ष रखा. सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ वर्तमान में ओली के 20 दिसंबर के संसद को भंग करने के कदम के खिलाफ 13 रिट याचिकाओं के रूप में कई सुनवाई कर रही है. भंडारी ने 24 जनवरी को एक बयान जारी करते हुए कहा था कि ओली ने सुप्रीम कोर्ट के वकीलों पर शर्मनाक हमला किया है
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