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भारत के रुख पर जताई आपत्ति, यूक्रेन-रूस जंग पर भारत तटस्थ

Subhi
29 March 2022 1:30 AM GMT
भारत के रुख पर जताई आपत्ति, यूक्रेन-रूस जंग पर भारत तटस्थ
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यूक्रेन और रूस के बीच एक महीने से जंग जारी है और इस युद्ध से पूरी दुनिया दो हिस्सों में बंट चुकी है. पश्चिमी देश यूक्रेन के साथ हैं जबकि कुछ देश रूसी एक्शन को सही ठहरा रहे हैं.

यूक्रेन और रूस के बीच एक महीने से जंग जारी है और इस युद्ध से पूरी दुनिया दो हिस्सों में बंट चुकी है. पश्चिमी देश यूक्रेन के साथ हैं जबकि कुछ देश रूसी एक्शन को सही ठहरा रहे हैं. लेकिन भारत ने अब तक इस जंग को लेकर तटस्थ रुख अपना रखा है. किसी भी देश का पक्ष लिए बगैर भारत शांति के साथ इस जंग का अंत चाहता है. लेकिन शायद अमेरिका को भारत का रुख रास नहीं आ रहा है.

भारत के रुख से नाराज

भारतीय मूल के प्रभावशाली अमेरिकी सांसद रो खन्ना ने रविवार को कहा कि भारत को यूक्रेन पर हमले के लिए रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की निंदा करनी चाहिए. जंग के बीच उन्होंने कहा कि नई दिल्ली को रूस या चीन से तेल नहीं लेना चाहिए.

अमेरिकी प्रतिनिधि सभा में सिलिकॉन वैली का प्रतिनिधित्व करने वाले खन्ना ने कहा कि अब भारत के लिए अपना पक्ष चुनने का वक्त आ गया है. उन्होंने 'फॉक्स न्यूज' के साथ एक इंटरव्यू में कहा, 'मैं भारत को लेकर स्पष्ट रहा हूं और मुझे लगता है कि भारत को पुतिन की निंदा करनी चाहिए और भारत को रूस या चीन से तेल नहीं लेना चाहिए. हमें पुतिन को अलग-थलग करने के लिए दुनिया को एकजुट करना चाहिए.'

चीन के खिलाफ चाहिए इंडिया का साथ

उन्होंने कहा कि चीन ने जब भारत पर हमले की कोशिश की तब अमेरिका उनके साथ खड़ा था और वहां पुतिन नहीं थे. खन्ना ने कहा कि यह समय अमेरिका से हथियार खरीदने के लिए है और भारत के लिए इसे आसान बनाने की सभी कोशिशें करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि चीन को काबू में लाने के लिए हमें भारत जैसे सहयोगी की जरूरत है.

हाल के दिन में कई अमेरिकी सांसद यूक्रेन संकट के लेकर भारत के तटस्थ रुख पर अपनी चिंता जता चुके हैं. इनमें सांसद जॉन कॉर्निन और भारतीय मूल के डॉ अमी बेरा का नाम शामिल है.

बातचीत से निकले समाधान

यूक्रेन और रूस के बीच जारी जंग को लेकर भारत का रुख एकदम साफ रहा है और वह किसी भी एक देश के साथ नहीं खड़ा है. हालांकि जंग खत्म करने को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दोनों ही देशों के राष्ट्राध्यक्षों से बात की और बातचीत से समाधान निकालने की अपील की थी. लेकिन संयुक्त राष्ट्र में रूस के खिलाफ लाए गए निंदा प्रस्तावों से भारत ने खुद को अलग ही रखा है. वहीं अपने नागरिकों की निकासी के लिए भी भारत ने यूक्रेन और उससे सटे देशों की मदद मांगी जिसकी वजह से 'ऑपरेशन गंगा' के तहत हजारों भारतीयों की सकुशल वतन वापसी मुमकिन हो पाई है.


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