अमेरिका में कंजरवेटिव संगठनों ने अब गर्भनिरोध या गर्भपात संबंधी तमाम जानकारियों को इंटरनेट से हटवाने की मुहिम छेड़ दी है। बीते हफ्ते सुप्रीम कोर्ट ने गर्भपात को वैध ठहराने का अपना 49 साल पुराना फैसला पलट दिया था। उससे कंजरवेटिव गुटों का हौसला बढ़ा है।
अमेरिका के अनेक रिपब्लिक शासित राज्यों ने गर्भपात को गैर-कानूनी ठहराने के लिए कानून लागू किए हैँ। कंजरवेटिव गुटों का कहना है कि इन कानूनों के लागू होने के बाद गर्भपात संबंधी तमाम जानकारी भी अवैध हो गई है। अब इंटरनेट पर गर्भपात के बारे में जानकारी डालना या उसे वहां से प्राप्त करना गैर-कानूनी है। इन संगठनों ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स से इस बारे में अपनी नीति बदलने की मांग की है। विश्लेषकों की राय में इससे गर्भपात के बारे में सूचनाओं की सार्वजनिक उपलब्धता के लिए खतरा पैदा हो गया है।
वेबसाइट एक्सियोस.कॉम के एक विश्लेषण के मुताबिक अमेरिका में इसको लेकर भ्रम गहराता जा रहा है कि गर्भपात के बारे में किन बातों को ऑनलाइन साझा किया जा सकता है और किनको नहीं। बीते सोमवार को ये खबर आई थी कि फेसबुक कंपनी गर्भपात कराने वाली गोलियों (एबॉर्शन पिल्स) की उपलब्धता से संबंधित तमाम पोस्ट्स को डिलीट कर रही है। कुछ मामलों में तो ऐसा पोस्ट डालने वाले यूजर्स को अस्थायी रूप से प्रतिबंधित भी कर दिया गया।
प्लान सी नाम की वेबसाइट गर्भपात से संबंधित दवाओं के बारे में जानकारी देती है। इसकी निदेशक एलिसा वेल्स ने कहा है- 'हमें सेंसरशिप का अंदेशा है। सोशल मीडिया साइट्स तो हमें पहले ही सेंसर कर चुकी हैं। जबकि अभिव्यक्ति की आजादी के तहत इन सूचनाओं को वेबसाइट पर डालना हमारा अधिकार है।' लेकिन वेल्स ने वेबसाइट एक्सियोस से कहा कि फिलहाल लोग इतनी अधिक सूचनाएं डाल रहे हैं कि उन्हें रोकना संभव नजर नहीं आता।
फेसबुक और इंस्टाग्राम को चलाने वाली कंपनी मेटा के ग्लोबल पॉलिसी डेवलपमेंट विभाग के पूर्व प्रमुख मैट पेरॉल्ट ने कहा है- 'अगर इस प्लैटफॉर्म पर कुछ ऐसा पोस्ट किया जाता है, जो आपराधिक व्यवहार को बढ़ावा देता लगे, तो कंपनी को उसे गंभीरता से लेना ही होगा। लेकिन कंपनी पर इस बात का दबाव भी रहेगा कि वह वैध तरीके से गर्भपात संबंधी सूचनाएं डाल या तलाश रहे लोगों को चुप ना करा दे।'
इस बीच सोशल मीडिया पर ऐसी सूचनाओं की भरमार हो गई है, जिनमें बताया जा रहा है कि एबॉर्शन पिल खाने से महिलाएं बांझ हो जाती हैं। दूसरी तरफ टिकटॉक जैसे प्लैटफॉर्म्स पर ऐसे वीडियो बड़ी संख्या में मौजूद हैं, जिनमें जड़ी-बूटियों (हर्बल) के जरिए गर्भपात कराने के तरीके बताए गए हैं।
विश्लेषकों के मुताबिक बात सिर्फ सोशल मीडिया पर हो रही कार्रवाई की नहीं है। कुछ रिपब्लिकन शासित राज्यों में विधायिकाओं में ऐसे कानून पास कराने की तैयारी हो रही है, जिनके तहत गर्भपात के बारे में वेबसाइटों या किसी रूप में इंटरनेट पर चर्चा करना गैर कानूनी हो जाएगा। वेबसाइट एक्सियोस की रिपोर्ट के मुताबिक जिस समय देश में विवेकहीन माहौल बन गया है, तब सरकार और प्राइवेट कंपनियों में से कोई इस स्थिति में नहीं है कि वह अभिव्यक्ति की आजादी की रक्षा कर सके।