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पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था
जनता से रिश्ता वेब डेस्क। श्रीलंका की आर्थिक तंगी से दिन पर दिन बिगड़ते हालात और राष्ट्रपति के देश छोड़ने की घटना ने सभी का ध्यान अपनी तरफ खींच लिया है. भारत की तरफ से पड़ोसी देश श्रीलंका को हर संभव मदद दी जा रही है. लेकिन वहां के हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं. खबर है कि श्रीलंका के बाद पाकिस्तान भी दिवालिया होने के कगार पर खड़ा है. दुनिया की प्रमुख रेटिंग एजेंसियों की तरफ से पाकिस्तान के आर्थिक हालात पर चेताया गया है. एजेंसियों की तरफ से यहां आर्थिक संकट की आशंका जताई गई है.
पूरी तरह चरमराई पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था
अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों की मानें तो पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार (Forex Reserve) काफी घट गया है और कर्ज का बोझ दिन पर दिन बढ़ रहा है. चिंता की एक और बड़ी वजह यह है कि दुनियाभर में मंदी की आहट से पाकिस्तान के पास कमाई के मौके भी सीमित हो रहे हैं. फिलहाल में उसकी कमाई बढ़ने की भी उम्मीद कम है. इसके अलावा वहां के हालात देखकर निवेशक भी दूरी बना रहे हैं. इससे देश की अर्थव्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है.
रेटिंग एजेंसी का अनुमान
फिच की तरफ से 17 देशों की लिस्ट जारी की गई है. इस लिस्ट में पाकिस्तान, ट्यूनिशिया, घाना, इथोपिया, तजाकिस्तान, अर्जेंटीना, बेलारूस आदि शामिल हैं. एजेंसी की तरफ से जारी रिपोर्ट में पाकिस्तान की लगातार बिगड़ती अर्थव्यवस्था के कारण उसके दिवालिया होने का खतरा जताया जा रहा है. पिछले दिनों पाक सरकार ने स्थिति संभालने के लिए लग्जरी आइटम के आयात पर प्रतिबंध लगाने समेत अमीरों पर सुपर टैक्स लगाने जैसे कदम उठाए हैं.
कैसे बिगड़ी पाकिस्तान की स्थिति?
आपको बता दें पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार 10 अरब डॉलर से नीचे जा चुका है. देश में महंगाई दर का आंकड़ा 20 प्रतिशत के पार पहुंच गया है. डॉलर के मुकाबले पाकिस्तानी रुपया गिरकर 200 रुपये के पार जा चुका है, यह इसका रिकॉर्ड डाउन है. पाकिस्तान के ऊपर कर्ज का बोझ लगातार बढ़ रहा है. पाकिस्तान के जिन देशों से व्यापारिक रिश्ते हैं वहां मंदी की आशंका से व्यापार में गिरावट आ रही है.
50 प्रतिशत पर पहुंची श्रीलंका की महंगाई दर
आपको बता दें पाकिस्तान के इन हालात को देखकर यही लग रहा है कि वह भी श्रीलंका के रास्ते पर जा रहा है. क्योंकि श्रीलंका में भी शुरुआत विदेशी मुद्रा भंडार में कमी आने से हुई थी. इसके बाद रेटिंग एजेंसियों ने वहां की रेटिंग घटा दी. इसका असर श्रीलंका में होने वाले निवेश पर पड़ा। इतना ही नहीं आसान कर्ज मिलना बंद हो गया. फिलहाल श्रीलंका की महंगाई दर बढ़कर 50 प्रतिशत पर पहुंच गई है.
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