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अब विचारधारा की लड़ाई, खतरे में तालिबान

Nilmani Pal
22 May 2022 1:59 AM GMT
अब विचारधारा की लड़ाई, खतरे में तालिबान
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अफगानिस्तान। अफगानिस्तान में पिछले साल तालिबान ने अपनी सरकार बना ली है. ज्यादातर इलाकों पर कब्जा भी जमाया. लेकिन उत्तर अफगानिस्तान के पंजशीर इलाके में उसे सबसे ज्यादा चुनौतियों का सामना करना पड़ा. वहां पर नेशनल रजिस्टेंस फ्रंट ने उसे कड़ी टक्कर दी. अब एक बार फिर अफगानिस्तान में वहीं पंजशीर इलाका बवाल का केंद्र बन गया है.

पिछले कुछ हफ्तों से पंजशीर से ऐसी खबरें आ रही हैं कि वहां पर तालिबान बनाम नेशनल रजिस्टेंस फ्रंट की लड़ाई शुरू हो गई है. तालिबान ने उन खबरों का हर मौके पर खंडन किया है और अपनी मजबूत सेना को उस इलाके में होने का दावा किया है. लेकिन दावों के मामलों में नेशनल रजिस्टेंस फ्रंट भी किसी से पीछे नहीं है. कुछ हफ्ते पहले ही कहा गया कि पंजशीर के कई इलाकों पर NRF ने फिर अपना कब्जा जमा लिया.

इस बारे में आजतक ने जब तालिबान के प्रवक्ता Tariq Ghazniwal से बात की तो उन्होंने उन तमाम दावों को ही गलत बता दिया. उन्होंने कहा कि इस इलाके में कोई लड़ाई नहीं हो रही है. सबकुछ सामान्य है. विदेश में बैठे कुछ पत्रकार सिर्फ वहां की नागरिकता लेने के लिए ऐसे दावे कर खुद को प्रमोट करने की कोशिश कर रहे हैं. तालिबानी प्रवक्ता ने इस बात को जरूर स्वीकार किया है कि कुछ हफ्ते पहले तक NRF के साथ कुछ मुद्दों पर तनातनी चल रही थी. लेकिन NRF के लड़ाकों ने खुद सरेंडर कर दिया था. अब तालिबान जरूर सबकुछ सामान्य होने की बात कर रहा है, लेकिन वहां के स्थानीय लोग बताते हैं कि जमीन पर तनाव बढ़ता जा रहा है. इसकी शुरुआत तो मई एक को ईद के दौरान ही हो गई थी. असल में तालिबान चाहता था कि ईद का त्योहार एक मई को मनाया जाए, वहीं पंजशीर में सभी ने 2 मई को ईद मनाई. ऐसे में तभी से पहले से जारी विवाद ज्यादा बढ़ गया और NRF बनाम तालिबान की लड़ाई शुरू हो गई.

स्थानीय लोग बताते हैं कि उस घटना के बाद से ही तालिबान खफा हो चुका था. वो पंजशीर में जाकर लोगों को कसमें दिलवा रहा था कि कोई भी NRF के साथ नहीं जाएगा. अगर कोई उस संगठन के साथ जुड़ने की गलती करता, तो उसे गिरफ्तार कर लिया जाता. पंजशीर के एक अखबार के मुताबिक तो तालिबान ने सभी क्रूरता की हदें पार करते हुए कुछ दिन पहले ही दो बच्चों को गोली मार दी थी. कारण सिर्फ ये रहा कि वो दोनों बच्चे उस गांव से आते थे जहां से NRF ने तालिबान के खिलाफ अपनी मुहिम शुरू की.

जानकार हबीब खान बताते हैं कि तालिबान इस समय पाकिस्तान के आकाओं के इशारों पर काम कर रहा है. उसका सिर्फ एक काम है, बांटों और राज करो. ये सारे सुझाव तालिबान ISI दे रहा है. उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि तालिबान इस समय पश्तून को समर्थन भी सिर्फ इसलिए दे रहा है क्योंकि ये उसकी राजनीति को सूट करता है. वरना असल में कई पश्तून भी तालिबान के खिलाफ खड़े हैं. अंतरराष्ट्रीय मामलों के जानकार Natiq Malikzada तो यहां तक मानते हैं कि तालिबान अभी भी पंजशीर में संघर्ष कर रहा है. उनकी माने तो तालिबान हर बार इस इलाके में घुसने का प्रयास करता है. लेकिन NRF उसे हमेशा धकेलने में कामयाब रहता है. उन्होंने अपने सूत्रों के हवाले से बताया कि कुछ दिन पहले ही पंजशीर में 100 से ज्यादा तालिबानों को मारा गया. उन सभी पर NRF ने तय रणनीति के तहत हमला किया. ऐसे तमाम हमलों की वजह से तालिबान मुख्य घाटी से आगे नहीं बढ़ पा रहा है.

सोर्स न्यूज़ - आज तक

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