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इस तरह से राजनीतिक और सैन्य रूप से तुर्की-पाकिस्तान के करीबी बढ़ रही है।
आर्मीनिया के खिलाफ भीषण जंग में अजरबैजान का साथ देने वाले पाकिस्तान की नजरें अब तुर्की के घातक ड्रोन विमान (Bayraktar TB-2) पर टिक गई हैं। ये वही किलर ड्रोन हैं जिन्होंने नगर्नो-कराबाख में तबाही मचाई थी। इस जंग में तुर्की और पाकिस्तान ने खुलकर अजरबैजान का साथ दिया था। यही नहीं पाकिस्तान अब कश्मीर और अफगानिस्तान के मुद्दे पर तुर्की के साथ द्विपक्षीय संबंध मजबूत करना चाहता है। तुर्की-पाकिस्तान और चीन की इस नापाक जोड़ी के साथ आने से भारत की टेंशन बढ़ गई है।
द प्रिंट की रिपोर्ट के मुताबिक भारत के रक्षा प्रतिष्ठान के सूत्रों का कहना है कि Bayraktar TB-2 की मदद से अजरबैजान ने आर्मीनिया को पिछले साल जंग में पराजित कर दिया था। अब पाकिस्तान इन हमलावर ड्रोन विमानों को तुर्की से लेना चाहता है। इसके अलावा तुर्की और पाकिस्तान संयुक्त रक्षा प्रॉजेक्ट, अफगानिस्तान पर सहयोग और पाकिस्तान में तुर्की के निवेश पर चर्चा कर रहे हैं। अभी इन दिनों तुर्की की सेना प्रमुख भी पाकिस्तान के दौरे पर आए हैं।
तुर्की की सेना के प्रमुख को निशान-ए-इम्तियाज से सम्मानित किया
तुर्की के साथ रक्षा संबंधों को मजबूत करने के लिए पाकिस्तानी राष्ट्रपति ने तुर्की की सेना के प्रमुख को निशान-ए-इम्तियाज से सम्मानित किया। इससे पहले इसी साल अप्रैल महीने में तुर्की ने भी पाकिस्तान के ज्वाइंट चीफ्स ऑफ स्टॉफ जनरल नदीम राजा को सम्मानित किया था। पाकिस्तान में तुर्की की सेना के प्रमुख ने सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा के साथ मुलाकात की थी। दोनों सेना प्रमुखों ने सैन्य संबंध को मजबूत करने पर बल दिया था।
भारतीय रक्षा सूत्रों का कहना है कि पाकिस्तान का सऊदी अरब और यूएई के साथ रक्षा संबंध पतन की राह पर है। तुर्की खुद को पश्चिम एशिया में प्रॉजेक्ट करना चाहता है ताकि सऊदी अरब और यूएई को इस इलाके में संतुलित किया जा सके। इस वजह से पाकिस्तान तुर्की के करीब जा रहा है ताकि इस शह और मात के खेल में बड़ी भूमिका निभा सके। उन्होंने कहा कि तुर्की ने अपने स्वदेशी रक्षा उद्योग पर फोकस किया है और उसकी ड्रोन तकनीक पर काफी पकड़ है। वह नौसैनिक युद्धपोत डिजाइन कर रहा है और उसे बना रहा है।
पाकिस्तान लगातार तुर्की पर ड्रोन विमान देने के लिए दबाव डाल रहा
उन्होंने कहा, 'पाकिस्तान के पास चीन के जरिए मिसाइल तकनीक है और उसके परमाणु बम गिराने वाले लड़ाकू विमान हैं जिसकी तुर्की को जरूरत है।' पाकिस्तान लगातार तुर्की पर हमलावर ड्रोन विमान देने के लिए दबाव डाल रहा है लेकिन अभी तुर्की ने इसकी मंजूरी नहीं दी है।' सूत्रों ने कहा कि इसके बदले में पाकिस्तान तुर्की को क्या देता है, यह महत्वपूर्ण है। अभी फिलहाल दोनों ही देशों का मुख्य फोकस अफगानिस्तान पर है। तुर्की अफगानिस्तान में भी अपना प्रभाव बढ़ाना चाहता है। इस तरह से राजनीतिक और सैन्य रूप से तुर्की-पाकिस्तान के करीबी बढ़ रही है।
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