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अब तो सचमुच अमेरिका के चरणों में गिर पड़ा पाकिस्तान, कैसे करें आईएमएफ को खुश?
Kajal Dubey
18 Jun 2022 12:31 PM GMT
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पाकिस्तान की शहबाज शरीफ सरकार ने बीते तीन हफ्तों में किफायत बरतने के कई सख्त और अलोकप्रिय कदम उठाए हैं। इनमें पेट्रोल के दाम प्रति लीटर लगभग 85 रुपये की बढ़ोतरी भी है। इसके बावजूद अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) इतना संतुष्ट नहीं हुआ है कि वह पाकिस्तान के लिए कर्ज की अगली किस्तें जारी करे। इसे देखते हुए अब पाकिस्तान सरकार ने अमेरिका से गुहार लगाई है। उसने अमेरिका से गुजारिश की है कि वह पाकिस्तान की सहायता करने के लिए आईएमएफ को समझाए।
इस सिलसिले में पाकिस्तान सरकार की आर्थिक मामलों की एक टीम ने यहां अमेरिकी राजदूत डोनाल्ड ब्लोम से भेंट की। पाकिस्तानी दल ने अमेरिकी राजदूत को सरकार की तरफ से उठाए गए सख्त आर्थिक कदमों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। इसके बाद कर्ज दिलाने के लिए उनकी सहायता मांगी। अखबार एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने एक खास रिपोर्ट में बताया है कि जो लोग अमेरिकी राजदूत से मिलने गए, उनमें वित्त मंत्री मिफ्ताह इस्माइल और वित्त राज्यमंत्री आयशा पाशा भी शामिल थे।
आईएमएफ में अमेरिका का दबदबा
आईएमएफ में सबसे ज्यादा शेयर अमेरिका के ही हैं। आमतौर पर समझा जाता है कि आईएमएफ अमेरिकी मंशा के मुताबिक फैसले लेता है। एक्सप्रेस ट्रिब्यून के मुताबिक अतीत में भी अमेरिका ने आईएमएफ से पाकिस्तान को मदद दिलवाने में सहायता की है। पाकिस्तानी दल ने ब्लोम को बताया कि पाकिस्तान सरकार राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद के 2.2 फीसदी तक सीमित रखने के लिए वचनबद्ध है। इसके लिए पाकिस्तान सरकार की योजना की जानकारी भी पाकिस्तान के मंत्रियों और अधिकारियों ने उन्हें दी।
पाकिस्तान के वित्त मंत्रालय ने इस मुलाकात के बारे में कोई टिप्पणी करने से इनकार किया है। लेकिन एक्सप्रेस ट्रिब्यून का दावा है कि उसे इस मुलाकात के बारे में सूचना जानकार सूत्रों ने दी है। इस बीच खबर है कि आईएमएफ ने पाकिस्तान की आर्थिक और वित्तीय नीतियों के बारे में एक दस्तावेज तैयार किया है। आगे से पाकिस्तान सरकार के साथ सभी समझौते इसी दस्तावेज के आधार पर किए जाएंगे। समझा जाता है कि गुरुवार तक पाकिस्तान सरकार को ये इस दस्तावेज नहीं सौंपा गया था।
आईएमएफ से कर्ज लेने के करार पर पिछली इमरान खान ने दस्तखत किए थे। लेकिन बीते मार्च में देश में शुरू हुई राजनीतिक उथल-पुथल के कारण उस करार में तय हुई कर्ज की अगली किस्तों को आईएमएफ ने जारी नही किया है। इस बीच खबर आई थी कि आईएमएफ ने चीनी बिजली कंपनियों को अलग दर से भुगतान के मुद्दे को लेकर कर्ज रोक रखा है।
विवादों में घिर सकती है शरीफ सरकार
मगर इस हफ्ते आईएमएफ ने इसका खंडन किया। इस हफ्ते जारी एक बयान में आईएमएफ ने कहा- 'आईएमएफ ने पाकिस्तान से चीन-पाकिस्तान इकॉनमिक कॉरिडोर परियोजना के तहत बने बिजली संयंत्रों से संबंधित समझौते की शर्तों पर दोबारा बातचीत करने के लिए नहीं कहा है। ये बात पूरी तरह असत्य है।'
लेकिन पर्यवेक्षकों का कहना है कि अब अमेरिकी राजदूत को देश की बजट संबंधी योजना की जानकारी देने के शरीफ सरकार के कदम से देश में विवाद खड़ा हो सकता है। इससे पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के इस आरोप को बल मिलेगा कि मौजूदा सरकार अमेरिका की कठपुतली है।
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