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अपनी पत्नी और बेटी की तस्वीर को जला दिया। सालेह ने अपने बॉडीगार्ड से कहा था कि अगर मैं घायल हो जाऊं तो मुझे गोली मार देना।
अफगानिस्तान के पूर्व उप राष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह ने तालिबान की गुलामी स्वीकार करने के इनकार कर दिया था। काबुल पर कब्जे के बाद उन्होंने अफगानिस्तान छोड़ने के बजाय पंजशीर घाटी से तालिबान को चुनौती दी थी। कुछ समय तक वह सोशल मीडिया पर सक्रिय रहे लेकिन फिर गायब हो गए। अब एक बार फिर सालेह ने 49 दिन बाद ट्विटर पर दस्तक दी है। उन्होंने अफगानिस्तान पर कब्जे के ढाई महीनों का डेटा साझा करते हुए पाकिस्तान पर करारा वार किया है। सालेह ने आरोप लगाया है कि पाकिस्तान ने अफगानिस्तान पर कब्जा किया है। उनका इशारा तालिबान और पाकिस्तान की पुरानी दोस्ती की ओर है।
सालेह ने लिखा, 'अफगानिस्तान पर पाकिस्तान के कब्जे के ढाई महीने बाद क्या-क्या बदल चुका है; जीडीपी लगभग 30 फीसदी गिर चुकी है, गरीबी का स्तर 90 फीसदी है, शरिया के नाम पर महिलाओं को गुलाम बनाया जा रहा है, सिविल सेवाएं ठप्प हो चुकी हैं, प्रेस/मीडिया/अभिव्यक्ति की आजादी पर बैन लग चुका है, शहरी मध्यम वर्ग जा चुकी है, बैंक बंद चुके हैं।' उन्होंने बताया, 'अफगानिस्तान की कूटनीति के केंद्र दोहा बन चुका है, अफगानिस्तान के विदेशी और रक्षा फैसले पाकिस्तान सेना के मुख्यालय में लिए जाते हैं, NGO शासन से ज्यादा शक्तिशाली हो चुके हैं, हक्कानी ने आतंकियों को ट्रेनिंग देकर ऑफिस में बिठा दिया है।'
'अफगानिस्तान को निगलना आसान नहीं'
सालेह ने कहा, 'अफगानिस्तान इतना बड़ा है कि पाकिस्तान उसे निगल नहीं सकता। यह सिर्फ समय की बात है। आत्मसम्मान और व्यवसायों को समाप्त होने से बचाने के लिए हर पहलू पर प्रतिरोध ही एक रास्ता है। समय के साथ अफगानिस्तान एक बार फिर खड़ा हो उठेगा।' कुछ समय पहले अमरुल्लाह सालेह ने काबुल पर तालिबानी कब्जे से पहले की कहानी बयां की थीं। सालेह ने बताया कि कैसे उन्होंने तालिबान के कब्जे के बाद अपनी पत्नी और बेटी की तस्वीर को जला दिया। सालेह ने अपने बॉडीगार्ड से कहा था कि अगर मैं घायल हो जाऊं तो मुझे गोली मार देना।
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