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नस्लवादी तरीके से इस्तेमाल होने से बचने के लिए इस नाम बदलने की प्रक्रिया में हैं ।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) खतरनाक मंकीपाक्स वायरस (Monkeypox) का नाम बदलने की तैयारी को अंतिम रूप दे रहा है। अब दुनिया में मंकीपाक्स को एमपीओएक्स (MPOX) के नाम से जाना जाएगा। अमेरिकी समाचार पत्र द पोलिटिको की रिपोर्ट के मुताबिक बाइडन प्रशासन के बढ़ते दबाव और आग्रह के चलते डब्ल्यूएचओ ने यह फैसला लिया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस फैसले की घोषणा बुधवार को की जा सकती है। इसके पूर्व डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेड्रोस एडनाम घेब्रेयस ने कहा था कि दुनिया भर के विशेषज्ञ मंकीपाक्स वायरस का नाम बदलने के लिए चर्चा कर रहे हैं।
30 देशों में मंकीपाक्स वायरस (Monkeypox Virus) का प्रकोप
गौरतलब है कि दुनिया के लगभग 30 देशों में मंकीपाक्स वायरस (Monkeypox Virus) का प्रकोप है। डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेड्रोस एडनाम घेब्रेयस ने कहा कि दुनिया भर के विशेषज्ञ मंकीपाक्स वायरस का नाम बदलने के लिए चर्चा कर रहे हैं। महानिदेशक ने कहा कि हम मंकीपाक्स वायरस का नाम, इसके समूह और इससे होने वाली बीमारी का नाम बदलने पर विशेषज्ञों के साथ काम कर रहे हैं। संगठन ने कहा है कि 30 अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों से मिले एक पत्र के बाद डब्ल्यूएचओ ने यह कदम उठाया है। उन्होंने कहा कि डब्ल्यूएचओ नए नामों के बारे में जल्द से जल्द घोषणा करेगा।
अमेरिका में करीब 30 हजार मामले सामने आए
पोलिटिको की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस वायरस के चलते अमेरिका में भारी दबाव है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि बाइडन प्रशासन का कहना है कि यह देश में टीकारण अभियान को प्रभावित कर रहा है। गौरतलब है कि मई, 2022 की शुरुआत में मंकीपाक्स का मामले सामने आया था। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक शुरुआत में मंकीपाक्स के अधिकांश मामले पश्चिम और मध्य अफ्रीका में सामने आए। इसके बाद यह यूरोप व उत्तरी अमेरिका के देशों में यह तेजी से पांव पसार रहा है। अब तक दुनिया के 30 देशों में यह वायरस अपना पांव पसार चुका है। अमेरिका रोग नियंत्रण और रोकथाम डेटा केंद्र के मुताबिक अमेरिका में भी इसका तेजी से प्रसार हो रहा है। अमेरिका में करीब मंकीपाक्स के तीस हजार मामले सामने आए हैं।
जुलाई में इस वायरस को वैश्विक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित किया
बता दें कि डब्ल्यूएचओ के मुताबिक 78 देशों से विश्व स्तर पर मंकीपाक्स के 18,000 से अधिक मामले सामने आए हैं। इनमें से अधिकांश मामले यूरोप में हैं। डब्ल्यूएचओ ने जुलाई में इस वायरस को वैश्विक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित किया। संगठन ने कहा कि अब तक अफ्रीका के देशों के बाहर 98 फीसद मामले पुरुषों के साथ यौन संबंध रखने वाले पुरुषों में पाए गए हैं। उस वक्त डब्ल्यूएचओ के आपात निदेशक माइक रयान ने कहा था कि मंकीपाक्स नाम हथियार के तौर पर या नस्लवादी तरीके से इस्तेमाल होने से बचने के लिए इस नाम बदलने की प्रक्रिया में हैं ।
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Neha Dani
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