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अब भीषण आर्थिक संकट में फंसा ईरान, ये डील हुई फेल तो होगा दिवालिया

Kajal Dubey
16 Jun 2022 11:43 AM GMT
अब भीषण आर्थिक संकट में फंसा ईरान, ये डील हुई फेल तो होगा दिवालिया
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तेहरान. खाद्य पदार्थ और बुनियादी जरूरत की चीजों से सब्सिडी में कटौती करने के ईरान के बाजार में भीषण महंगाई आ गई है. ईरानी सरकार के फैसले के खिलाफ राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए हैं. इंटरनेशनल एटोमिक इनर्जी (आईएई) एजेंसी और इस्लामी गणराज्य ईरान के बीच बात नहीं बनने से अमेरिकी डॉलर ऐतिहासिक ऊंचाई पर पहुंच गया है. लिहाजा, तेहरान बाजार में काफी तनाव आ गया है और देश पर दिवालिया होने का खतरा मंडराने लगा है.
संयुक्त राष्ट्र की परमाणु निगरानी संस्था के 35 देशों के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स ने 8 जून को एक प्रस्ताव पारित किया है, जिसमें ईरान को आईएईए के साथ सीमित सहयोग और तीन परमाणु स्थलों पर यूरेनियम के निशान मिलने के लिए फटकार लगाई गई है. संगठन ने कहा कि, ईरान ने इसके बारे में विश्व निकाय को अपर्याप्त स्पष्टीकरण दिया है.
3 देशों ने नहीं लिया वोटिंग में हिस्सा
आईएईए के सदस्य देशों में केवल चीन और रूस ने प्रस्ताव के खिलाफ मतदान किया. तीन अन्य सदस्य भारत, लीबिया और पाकिस्तान ने वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया. हाल की चेतावनी से पहले, आईएईए ने 2012 से अपर्याप्त पारदर्शिता और अघोषित परमाणु गतिविधियों के लिए ईरान की आलोचना करने वाला केवल एक प्रस्ताव जारी किया था और उस संकल्प को जून 2020 में अपनाया गया था.
ईरान सरकार के लिए है बड़ा झटका
यूएन बॉडी के नये प्रस्ताव को राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी के कट्टर प्रशासन के लिए एक अपमान के तौर पर देखा जा रहा है, जिसका दुस्साहस 2005 और 2013 के बीच ईरान के राष्ट्रपति महमूद अहमदीनेजाद की अकर्मण्यता की याद दिलाता है, जिनकी खराब विदेश नीति और परमाणु कार्यक्रम पर खराब सलाह लेने और उसपर अमल करने के लिए जिम्मेदार ठहराया गया था और उनकी जमकर आलोचना की गई थी.
क्या अब हो पाएगा परमाणु समझौता?
ईरानी अधिकारी इस बात पर जोर देते हैं कि हालिया प्रस्ताव इजराइल के खुफिया-साझाकरण और लॉबिंग के बिना प्रस्तावित नहीं हो सकता था. तेहरान में सत्ता परिवर्तन और पिछले साल अगस्त में राष्ट्रपति रायसी के सत्ता संभालने के बाद से किसी भी समय, जेसीपीओए, जिसे कभी अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में एक मील का पत्थर और परमाणु अप्रसार में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि के रूप में सराहा गया था, वो दम तोड़ने के करीब है. वहीं, इसका असर ये हो रहा है कि ईरान की अर्थव्यवस्था काफी तेजी से बिगड़ती जा रही है और ईरान के सामने संकटों का पहाड़ खड़ा हो चुका है.
ईरानी बाजारों की स्थिति खराब हाल के टकराव की वजह से ईरान के बाजार संकट में फंस गये हैं. इस्लामिक रिपब्लिक द्वारा अपने प्रतिशोधी उपायों का खुलासा करने के बाद अमेरिकी डॉलर के सामने ईरान की करेंसी तेजी से नीचे गिरी और सोमवार तक यह 328,700 रियाल के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया. इसके साथ ही सरकार ने देश की अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए जरूरी सामानों से सब्सिडी कम करना शुरू कर दिया, जिससे बाजार में महंगाई रॉकेट के रफ्तार से बढ़ी है. सामानों की नई कीमत आसमान पर पहुंच चुके हैं.
ब्रेड, अंडे पास्ता और चिकन के दाम में इजाफा
पिछले हफ्तों में राष्ट्रपति रईसी द्वारा खाद्य और अधिकांश बुनियादी सामानों पर सब्सिडी में कटौती करने और गेहूं, खाना पकाने के तेल, मक्का, मुर्गी और दवा के आयात के लिए तरजीही विदेशी मुद्रा आवंटित करने से रोकने के बाद देशभर में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. ईरान में ब्रेड, अंडे, पास्ता, चिकन और डेयरी जैसी वस्तुओं की कीमतों में चार गुना इजाफा हो चुका है.
वहीं, ईरान के सांख्यिकीय केंद्र की रिपोर्ट के मुताबिक, ईरान में इस साल महंगाई दर बढ़कर 40.2% हो चुका है और 70 प्रतिशत ईरान के लिए गरीबी रेखा के आसपास पहुंच चुके हैं. इस रिपोर्ट ने ईरान सरकार को घबराहट में डाल दिया है.
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