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आर्थिक तंगी के साथ अब पाक में एक और मुसीबत, अब रसोई गैस खत्म होने के आसार

Deepa Sahu
3 Nov 2020 2:07 PM GMT
आर्थिक तंगी के साथ अब पाक में एक और मुसीबत, अब रसोई गैस खत्म होने के आसार
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आर्थिक तंगी के साथ अब पाक में एक और मुसीबत, अब रसोई गैस खत्म होने के आसार

पाकिस्तान के पेट्रोलियम मामलों में प्रधानमंत्री के विशेष सलाहकार नदीम बाबर ने पाकिस्तान में बचे

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | पाकिस्तान के पेट्रोलियम मामलों में प्रधानमंत्री के विशेष सलाहकार नदीम बाबर ने पाकिस्तान में बचे गैस भंडार के बारे में कहा है कि, 'यदि देश में कोई नए बड़े भंडार नहीं खोजे गए तो, केवल अगले 12 से 14 वर्षों की गैस बची है।'

बीबीसी के साथ एक विशेष इंटरव्यू में नदीम बाबर ने कहा कि, 'इस साल सर्दियों में गैस की कीमत बिलकुल नहीं बढ़ाई जाएगी। इस वित्तीय वर्ष के अंत तक यानी जून 2021 तक, उपभोक्ताओं को मौजूदा कीमत पर ही गैस उपलब्ध कराई जाएगी।'

नदीम बाबर ने कहा कि वर्तमान सरकार पिछली सरकार की तुलना में विश्व बाजार से सस्ती गैस खरीद रही है। यही वजह है कि, इस साल प्राकृतिक गैस के उपभोक्ताओं के बिलों में गैस के दाम नहीं बढ़ेंगे।

याद रहे कि प्रधानमंत्री इमरान खान पहले ही कह चुके हैं कि इस साल सर्दियों के मौसम में देश में गैस की कमी होगी। इकोनॉमिक सर्वे ऑफ पाकिस्तान के अनुसार, पाकिस्तान में गैस का वार्षिक प्रोडक्शन चार अरब क्यूबिक फीट है। जबकि इसकी खपत लगभग 6 अरब क्यूबिक फीट है।

इस कमी को पूरा करने के लिए, देश एलएनजी (जोकि तरल रूप में होता है जिससे दोबारा गैस बनाया जाता है) का आयात करता है। लेकिन एलएनजी देश में गैस की कमी को पूरी तरह से समाप्त नहीं करती है। पाकिस्तान में इस समय 1.2 बिलियन क्यूबिक फीट की कुल क्षमता वाले दो एलएनजी टर्मिनल काम कर रहे हैं।

"एक अच्छा काम किया, एक बुरा काम किया"

लेकिन पाकिस्तान में गैस की कमी क्यों है? इस सवाल के जवाब में नदीम बाबर का कहना है कि पाकिस्तान में स्थानीय गैस का उत्पादन बहुत तेजी से घट रहा है। "पिछली सरकार ने एक अच्छा काम किया कि, एलएनजी को सिस्टम में शामिल किया और एक बुरा काम किया कि स्थानीय उत्पादन पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए था जो कि नहीं किया।"

उन्होंने कहा, "पिछली सरकार के पांच वर्षों में कोई नया ब्लॉक एवार्ड नहीं किया गया और ड्रिलिंग की जितने तेजी से रिप्लेसमेंट होनी चाहिए थी उतनी तेजी से नहीं की गई।" परिणामस्वरूप, स्थानीय उत्पादन में गिरावट आती रही और उधर मांग में वृद्धि होती रही। इस अंतर को अस्थायी रूप से बंद करने के लिए एलएनजी का आयात शुरू कर लिया गया था।"

"लेकिन मांग तो बढ़ती जा रही है और एलएनजी की एक सीमा है कि हम कितनी एलएनजी ला सकते हैं। यही कारण है कि आपूर्ति और मांग के बीच फर्क बढ़ता जा रहा है। कोई भी ऊर्जा विशेषज्ञ आपको पांच साल पहले यह बता सकता था कि ऐसा होने जा रहा है। मैं खुद यह बात तब से कह रहा हूं जब मैं सरकार में नहीं था। '

अगर विशेषज्ञों को पांच साल पहले पता था कि यह होने जा रहा है, तो पीटीआई को भी सत्ता में आये दो साल हो चुके हैं। इस बीच उन्होंने क्या कदम उठाए हैं?

इस सवाल के जवाब में, नदीम बाबर ने कहा कि, "इस बीच, हमने (स्थानीय उत्पादन बढ़ाने के लिए) ई एंड पी यानी एक्सप्लोरेशन एंड प्रोडक्शन सेक्टर पर ध्यान दिया है। लेकिन इसके परिणाम तीन से चार साल बाद सामने आएंगे जब आप नई ड्रिलिंग शुरू करेंगे, नए भंडार की खोज करेंगे, इसमें कुछ साल लगते हैं।"

"लेकिन इस बीच, आयात ही एकमात्र विकल्प बचा है। इस संबंध में, हमने कहा कि यह राज्य का काम नहीं है कि वह एलएनजी को खुद से आयात करे और कर्ज को बढ़ाते जाएं। हमने एलएनजी सेक्टर को खोल दिया है। पांच कंपनियों ने कहा कि वे टर्मिनल लगाना चाहती हैं, हमने पांचों को अनुमति दे दी है। इनमें से दो कंपनियां उस चरण में पहुंच गई हैं कि, अगले दो से तीन महीनों में उनके टर्मिनल पर जमीनी स्तर पर काम शुरू हो जाएगा।साल या सवा साल के अंदर अंदर ये दोनों टर्मिनल लग जाएंगे।"

अगर टर्मिनल के निर्माण में एक साल या सवा साल ही लगना था तो, पीटीआई सरकार ने 2018 में सत्ता में आते ही यह कार्य क्यों नहीं किया, ताकि आज यह संकट न होता?

"देखिये एक दम से यह कार्य नहीं हो सकता। इसमें कानूनों को बदलने की आवश्यकता थी, अनुमतियां प्राप्त करने की आवश्यकता थी, नियामक संरचना को बदलने की आवश्यकता थी, लेकिन इसमें यह भी देखें कि पहले एलएनजी टर्मिनल जब लगे थे, उनके लगने में आठ साल लगे थे।

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