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अब खास 'X-Ray Lens' का इस्तेमाल किया जाएगा सुदूर Black Hole के अध्ययन के लिए

Gulabi
2 Sep 2021 4:07 PM GMT
अब खास X-Ray Lens का इस्तेमाल किया जाएगा सुदूर Black Hole के अध्ययन के लिए
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हमारे खगोलविद अंतिरक्ष में सुदूर पिंडों का अध्ययन टेलीस्कोप के जरिए करते हैं

हमारे खगोलविद अंतिरक्ष में सुदूर पिंडों का अध्ययन टेलीस्कोप के जरिए करते हैं. इसलिए उनकी निर्भरता अंतरिक्ष से आने वाले प्रकाश पर बहुत होती है. कई बार ऐसा होता है कि सुदूर पिंड से आने वाली तरंगों के बीच में कोई गैलेक्सी (Galaxy) या कोई दूसरा पिंड आ जाता है. इससे पृथ्वी की ओर आने वाला प्रकाश या वे तरंगे बड़ी भी हो जाती हैं. खगोलविदों ने इसी सिद्धांत से उपयोग एक्सरे आवर्धक शीशे (X-ray Magnifying Glass) की तरह किया है जिससे वे शुरुआती ब्रह्माण्ड के ब्लैक होल (Black Hole) का अध्ययन कर सकें.


प्रकाश का यह विस्तारण और आवर्धन बीच में आने वाली गैलेक्सी के कारण होता है जिससे दो अलग अलग एक्स-रे उत्सर्जित (X-Ray Emissions) करने वाले पिंडों की पहचान होती है. ये दो पिंड या तो दो बढ़ते सुपरमासिव ब्लैक होते हैं या ब्लैकहोल (Black Hole) के साथ एक जेट होता है. इस नतीजे की वजह से शुरुआती ब्रह्माण्ड (Universe) के ब्लैक बोल की वृद्धि के साथ बहुल ब्लैक होल की उपस्थिति की संभावना को भी समझने में मदद मिलती है. यह नई तकनीक नासा की चंद्रा एक्स रे वेधशाला में उपयोग में लाई जा रही है जिससे खगोलविद शुरुआती ब्लैकहोल को समझ पा रहे हैं.
इस तकनीक ने खोगलविदों को एक नया तरीका प्रदान किया है जिससे वे धुंधले और सुदूर एक्स-रे पिंडों को ज्यादा विस्तार से देख पाते हैं जो अब तक संभव नहीं था. खगोलविदों ने अंतरिक्ष में संरेखण (Alignment) का उपयोग किया जिससे उन्हें 12 अरब प्रकाशवर्ष दूर स्थित दो पिंडों के प्रकाश की ग्रैविटेशनल लेंसिंग (Gravitational lensing) देखने को मिली. इसमें सुदूर पिंडों से आने वाला प्रकाश मुड़ जाता है और गैलेक्सी (Galaxy) के द्वारा पृथ्वी और पिंड के बीच की दृष्टि रेखा में विस्तारित हो जाता है.

हाल में हुई चंद्रा वेधशाला (Chadra X ray observatory) के अध्ययन में दो पिंड का अवलोकन किया गया. सिस्टम का एक हिस्सा B2016+112 है और वेधशाला द्वारा पकड़ी एक्सरे (X-Rays) इसी सिस्टम से उत्सर्जित की गई थी जब ब्रह्माण्ड (Universe) केवल दो अरब साल का था जबकि आज इसकी उम्र करीब 14 अरब साल है. MG B2016+112 से पिछले रेडियो उत्सर्जनों के अध्ययनों से पता चला कि यह सिस्टम दो अलग सुपरमासिव ब्लैक होल से बना है जिसमें दोनों ही जेट पैदा कर रहे हैं.
लेकिन रेडियो आंकड़ों के ग्रैविटेशनल लेंसिंग (Gravitational Lensing) के मॉडल के आधार पर स्वार्टज और उनके साथियों ने निष्कर्ष निकाला कि MG B2016+112 सिस्टम से तीन एक्स रे (X Ray) स्रोतों का पता चला है जो दो सुदूर अलग-अलग पिंडों की लेंसिंग की वजह दिख रहे हैं. एक पिंड से आने वाला एक्स रे प्रकाश बीच में आने वाली गैलेक्सी (Galaxy) के गुरुत्वाकर्षण से प्रभावित हुआ जिससे दो एक्स रे बीम पैदा हुईं और चंद्रा की तस्वीरों में एक्स रे के स्रोत (A और B) के तौर पर दिखीं

धुंधले प्रकाश से आने वाली एक्सरे (X Ray) को स्रोत C कहा गया जो गैलेक्सी (Galaxy) के के द्वारा 300 गुना ज्यादा चमक में विस्तारित कर दी गई. जबकि वह बिना लेंसिंग के इतना विस्तारित नहीं होती. ये दो एक्स रे उत्सर्जित करने वाले पिंड बढ़ते दो सुपरमासिव ब्लैकहोल हैं या एक बढ़ाता सुपरमासिव ब्लैक होल और एक जेट वाले पिंड हैं.

चंद्रा के मापन बताते हैं कि बढ़ते सुपरमासिव ब्लैकहोल (Supermassive Black Hole) के जोड़े या तीन का समूह आमतौर पर पृथ्वी के नजदीक के पिंड होते हैं या भी उनके बीच की दूरी बहुत अधिक होती है. ये नतीजे एस्ट्रोफिजिकल जर्नल में प्रकाशित हुए हैं. ग्रैविटेशनल लेंसिंग (Gravitational Lensing) की तकनीक हमारे खगोलविज्ञान में बहुत उपयोगी तकनीक साबित हुई है.इससे हमारे खगलोविद कई ऐसी छिपी हुई गैलेक्सी (Galaxy) और अन्य पिंडों को खोज सके हैं जो में सामान्य अवलोकनों नहीं दिखाई देती हैं.
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