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'लोकतांत्रिक व्यवस्था में पद संभालने के लिए नहीं हैं काबिल'...पाक मीडिया पर भड़के इमरान खान

Gulabi Jagat
4 April 2022 5:32 PM GMT
लोकतांत्रिक व्यवस्था में पद संभालने के लिए नहीं हैं काबिल...पाक मीडिया पर भड़के इमरान खान
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पाक मीडिया पर भड़के इमरान खान
इस्लामाबाद, प्रेट्र। पाकिस्तानी मीडिया ने सोमवार को गुस्से में टिप्पणी करते हुए कहा कि इमरान खान ने संवैधानिकता को 'गहरा झटका' दिया है। ऐसे में सबसे मजबूत चिंताओं को जन्म दिया है कि वह एक लोकतांत्रिक व्यवस्था के भीतर सार्वजनिक पद संभालने के लिए उपयुक्त नहीं हो सकते हैं। एक दिन पहले विश्‍वास मत को लेकर उठाए गए असंवैधानिक कदमों को लेकर मीड‍िया ने इमरान खान पर गहरे सवाल उठाए हैं।
इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक ए इंसाफ पार्टी के सदस्यों ने एक विवादास्पद कदम उठाते हुए रविवार को प्रधानमंत्री में अविश्वास प्रस्ताव को रोक दिया और राष्ट्रपति से संसद भंग करने के लिए कहा, जिसे विपक्ष द्वारा कानूनी रूप से चुनौती दी गई है। इमरान खान ने दावा किया था कि विपक्ष द्वारा अविश्वास प्रस्ताव उन्हें हटाने के लिए अमेरिका के नेतृत्व वाली साजिश का हिस्सा था, लेकिन वाशिंगटन ने इससे इन्‍कार किया है।
पाकिस्‍तान के डान अखबार ने 'डेमोक्रेसी सबवर्टेड' शीर्षक वाले संपादकीय में कहा कि "देश स्तब्ध है।" इसमें कहा गया कि एक नेता के आदेश पर गहरी अवमानना के साथ संसदीय प्रक्रिया को कुचलने का प्रयास किया गया। इसके जरिये पाकिस्तान को संवैधानिक संकट के अंधेरे रसातल में डाल दिया गया है। ऐसा लगता है कि कप्तान ने सभी के साथ मिलकर इस नृशंस कार्ड को खेलने की साजिश रची थी।
पाकिस्तान के 69 वर्षीय पूर्व कप्तान ने कहा कि यह विपक्ष के लिए एक कठोर झटके के रूप में आया। खुद को लड़ाकू के रूप में घोषित करने वाले इमरान खान को इस तरह के गैर खिलाड़ी वाला व्यवहार को प्रदर्शित किया है।
संपादकीय टिप्पणी में कहा गया कि 'आखिरी गेंद तक खेलने' के बजाय खेल के नियमों को तोड़कर इमरान खान ने संवैधानिकता को एक गहरा झटका दिया है और सबसे मजबूत चिंताओं को जन्म दिया है कि वह लोकतांत्रिक व्यवस्था के भीतर सार्वजनिक पद धारण करने के लिए उपयुक्त नहीं हो सकते हैं।
द एक्सप्रेस ट्रिब्यून अखबार ने अपने संपादकीय में लिखा है कि संसद में लोकतंत्र की भावना को ठीक तरीके से नहीं खेली गया। इसमें कहा गया है कि प्रधानमंत्री जो खुद खेलों में एक महान परंपरा स्‍थापित करने वाले रहे हैं, उन्‍हें दीवार पर लिखा हुआ पढ़ना चाहिए था। वह राजनीति की कमजोर विकेट पर थे और सत्ता में बने रहने के लिए आवश्यक 172 के स्कोर का पीछा नहीं कर सकते थे। अखबार ने टिप्पणी की कि इमरान खान को पीछे हटना चाहिए था और विपक्ष को मोर्चा संभालने देना चाहिए था। साथ ही अगर उन्हें सदन के पटल पर वोट करने दिया गया होता तो भी स्‍वर्ग नहीं गिर पड़ता।
इसमें आगे कहा गया कि वह विपक्ष के नेता के रूप में लोकतंत्र और चुनावी राजनीति के लिए एक संपत्ति होते और नई सरकार को कटघरे में रखकर आत्मनिर्भरता और एक स्वतंत्र विदेश नीति के अपने एजेंडे को और अधिक विद्वतापूर्ण तरीके से आगे बढ़ा सकते थे।
राष्ट्रपति के खिलाफ आलोचनात्मक टिप्पणी
अन्य विशेषज्ञों की तरह डान अखबार ने भी बताया कि संवैधानिक रूप से इमरान खान नेशनल असेंबली को भंग नहीं कर सकते थे, जबकि उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लंबित था। इसमें कहा गया कि राष्‍ट्रपति को उनका अनुरोध, फिर अभ्रद तरीक से जल्दबाजी में राष्ट्रपति द्वारा नेशनल असेंबली को भंग करने के प्रस्‍ताव को स्वीकार किया गया। वह एक सच्चे खिलाड़ी की तरह राजनीतिक खेल खेल सकते थे। वह विश्‍वास मत में हार कर से मजबूत होकर उभर सकते थे, वोटिंग के दौरान तेज तर्रार भाषण दे सकते थे।
इसके बजाय उन्होंने देश को एक संवैधानिक संकट में डालने के लिए चुना। राष्ट्रपति भी बुद्धिमानी से कार्य करने में विफल रहे। पूरी प्रक्रिया की संवैधानिकता को देखने के बजाय उन्होंने इमरान खान के वफादार के रूप में काम किया और अपने कार्यालय को अपने पक्षपाती के साथ बदनाम किया। डान अखबार के संपादकीय में 72 वर्षीय राष्ट्रपति के खिलाफ आलोचनात्मक टिप्पणी की गईं, जो इमरान खान की पार्टी से जुड़ी हैं।
तानाशाहों द्वारा वर्षों से उठाए गए असंवैधानिक कदम
द न्यूज इंटरनेशनल अखबार ने टिप्पणी की कि रविवार को जो हुआ वह अभूतपूर्व है कि एक नागरिक प्रधान मंत्री ने अविश्वास प्रस्ताव का सामना करने के बजाय विधानसभाओं को भंग करने का रास्ता चुना। अखबार ने अपने संपादकीय में कहा है कि कानून और इतिहास के पर्यवेक्षकों और विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह के असंवैधानिक कदम तानाशाहों द्वारा वर्षों से किए गए हैं, जबकि एक नागरिक सरकार अपनी शक्ति को बचाने के लिए सभी नियमों की धज्जियां उड़ा रही है। अगर इसे अशक्त और शून्य घोषित नहीं किया जाता है, इस तरह से एक भयानक मिसाल कायम करते हैं।
इमरान खान के इस कदम से विपक्ष में गुस्सा फूट पड़ा है। कुछ राजनेताओं ने उन पर अविश्वास प्रस्ताव को आगे नहीं बढ़ने देने के लिए 'देशद्रोह' का आरोप लगाया। एक टेलीविजन संबोधन और देर रात के कई ट्वीट्स में इमरान खान ने नेशनल असेंबली को भंग करने और नए सिरे से चुनाव कराने के फैसले का बचाव किया है। इमरान खान ने कहा कि अमेरिकी नीति और अन्य विदेश नीति के फैसलों की उन्‍होंने आलोचना की, जिसमें रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन द्वारा यूक्रेन पर हमला करने के दौरान मास्को की यात्रा भी शामिल है। इस कारण अमेरिका ने उन्हें सत्ता से हटाने का प्रयास किया है।
इस बीच डान अखबार ने लिखा कि सुप्रीम कोर्ट से उम्मीद है कि जो गलत किया गया है, उसके लिए एक पर्याप्त उपाय प्रदान करेगा। अखबार ने रेखांकित किया कि शीर्ष अदालत सभी पक्षों को याद दिलाएगा कि किसी भी वैध शक्ति को रखने का केवल एक ही रास्ता है। इसे संविधान के माध्यम से हासिल किया जा सकता है।
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