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बुखार के साथ नाक से बह रहा खून, इस नई बीमारी ने मचाया कहर, जाने कैसे फैलती है बीमारी

Renuka Sahu
30 May 2022 3:44 AM
Nose bleeding with fever, this new disease wreaks havoc in Iraq, know how the disease spreads
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फाइल फोटो 

इराक में क्रीमियन-कांगो रक्तस्रावी बुखार नामक बीमारी ने कहर बरपा रखा है.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। इराक में क्रीमियन-कांगो रक्तस्रावी बुखार नामक बीमारी ने कहर बरपा रखा है. यह बीमारी यहां लोगों की मौतों का कारण बन रही है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, इराक में क्रीमियन-कांगो रक्तस्रावी बुखार नामक बीमारी के इस साल 111 मामले सामने आ चुके हैं. दावा किया जा रहा है कि इनमें से 19 लोगों की मौत हो चुकी है.

तेजी से फैल रही बीमारी
इराक के ग्रामीण इलाकों में यह बीमारी तेजी से फैल रही है, देश के आधे मामल अकेले दक्षिणी प्रांत में दर्ज किए गए हैं. डॉक्टरों के अनुसार, बुखार का वायरस आंतरिक और बाहरी दोनों तरह और विशेष रूप से नाक से गंभीर रक्तस्राव (Bleeding) का कारण बनता है. हर 2 से 5 मामलों में लोगों की मौत हो जाती है.
मामलों से अफसर हुए परेशान
'धी कर प्रांत' के एक स्वास्थ्य अधिकारी हैदर हंतौचे ने कहा कि दर्ज किए गए मामलों की संख्या अभूतपूर्व है. इस वर्ष मामलों में वृद्धि ने अधिकारियों को झकझोर दिया है, क्योंकि यह संख्या पिछले वर्ष दर्ज किए गए संख्या 43 से कहीं अधिक है. बता दें कि यह वायरस पहली बार 1979 में इराक में दर्ज किया गया था.
वायरस से फैलती है बीमारी
रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (CDC) के अनुसार, यह बीमारी (CCHF) टिक (एक तरह का कीड़ा) जनित वायरस के संक्रमण के कारण होती है. यह रोग पहली बार 1944 में क्रीमिया (Crimea) में पाया गया था और इसे क्रीमियन रक्तस्रावी बुखार नाम दिया गया था. इसे बाद में 1969 में कांगो में बीमारी के कारण के रूप में मान्यता दी गई, जिसके परिणामस्वरूप बीमारी का वर्तमान नाम बन गया.
10 से 40 फीसदी के बीच है मृत्यु दर
WHO ने कहा कि संक्रमित टिकों के काटने (tick bites) से जानवर संक्रमित हो जाते हैं. CCHF वायरस या तो टिक के काटने या संक्रमित जानवरों वध के दौरान खून या ऊतकों के संपर्क में आने से लोगों में फैलता है. WHO के अनुसार, CCHF की मृत्यु दर 10 से 40 प्रतिशत के बीच है.
वैक्सीन नहीं है मौजूद
इस वायरस का कोई टीका नहीं है और इसकी शुरुआत तेजी से हो सकती है. CDC ने कहा कि CCHF संक्रमण के दीर्घकालिक प्रभावों का अध्ययन पर्याप्त रूप से नहीं किया गया है, ताकि यह निर्धारित किया जा सके कि विशिष्ट जटिलताएं मौजूद हैं या नहीं. हालांकि, इसकी रिकवरी धीमी है.
टिक के काटने से जानवर संक्रमित
WHO का कहना है कि यह वायरस जानवरों पर टिक के माध्यम से लोगों को में फैलता है, इसलिए ज्यादातर मामले किसान, बूचड़खानों और पशु चिकित्सकों के बीच होते हैं. इसके बाद खून, अंग या शरीर के किसी तरल पदार्थ के निकट संपर्क में आने से यह इंसानों से इंसानों में फैलता है. यह वायरस अनियंत्रित रक्तस्राव के साथ, तेज बुखार और उल्टी (Vomiting) का कारण बनता है.
ईद के बाद मामलों में हो सकती है बेतहाशा वृद्धि
वहीं, डॉक्टरों को डर है कि जुलाई में मुस्लिम त्योहार बकरीद (Bakrid) के बाद इस बीमारी के मामलों का विस्फोट हो सकता है, जब परिवार पारंपरिक रूप से मेहमानों को खिलाने के लिए जानवरों का वध करते हैं. हालांकि, वायरस ने देश में मांस की खपत पर भी प्रतिकूल प्रभाव डाला है. कई कसाईयों का कहना है कि वध के लिए आने वाले मवेशी आधे स्तर तक गिर गए हैं. नजफ पशु चिकित्सा अस्पताल के निदेशक फारेस मंसूर ने कहा कि लोग रेड मीट से डरते हैं और सोचते हैं कि यह संक्रमण फैला सकता है.
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