फिर खरते में पड़ी नॉर्ड स्ट्रीम-2 गैस पाइपलाइन, जानिए इस पाइपलाइन की पूरी कहानी
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जनता से रिश्ता वेबडेस्क। जब भी रूस के साथ पश्चिमी देशों का तनाव बढ़ता है, नॉर्ड स्ट्रीम-2 गैस पाइपलाइन खतरे में पड़ जाती है. जानिए, इस पाइपलाइन की पूरी कहानी.जर्मनी की भविष्य की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए तैयार की गई नॉर्ड स्ट्रीम-2 गैस पाइपलाइन, अमेरिका जैसे उसके सहयोगी देशों को विवादास्पद लगती है. रूस और पश्चिमी देशों के बीच ताजा टकराव के बीच इस परियोजना को बंद करने की मांग फिर से उठने लगी हैं. नॉर्ड स्ट्रीम-2 है क्या? नॉर्ड स्ट्रीम-2 बाल्टिक सागर से होते हुए पश्चिमी रूस से उत्तरपूर्वी जर्मनी तक जाने वाली दूसरी प्राकृतिक गैस पाइपलाइन है. 2011 में चालू हुई अपनी पूर्ववर्ती नॉर्ड स्ट्रीम-1 के साथ नयी गैस पाइपालाइन में हर साल 55 अरब घन मीटर गैस ले जाने की क्षमता है. नॉर्ड स्ट्रीम-2 गैस पाइपलाइन को बनाने में साढ़े नौ अरब यूरो (10.6 अरब डॉलर) का खर्च आया है. 1,230 किलोमीटर लंबी ये पाइपलाइन, दुनिया की सबसे बड़ी समुद्री पाइपलाइन है. एक दशक से भी ज्यादा समय पहले इसका खाका तैयार किया गया था. 2018 में इस पाइपलाइन का निर्माण प्रारंभ हुआ और सितंबर 2021 में पूरा हुआ. लेकिन नॉर्ड स्ट्रीम-2 से गैस भेजने का काम अभी शुरू नहीं हुआ है क्योंकि उसका परिचालन लाइसेंस अटक गया है. नॉर्ड स्ट्रीम-2 की जरूरत क्यों है? जर्मनी कमोबेश पूरी तरह प्राकृतिक गैस के आयात पर निर्भर है. आईएचएस मार्किट के मुताबिक 2020 में जर्मनी को आधे से ज्यादा गैस आपूर्ति अकेले रूस से हुई थी. यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देश को ऊर्जा स्थानान्तरण के लिहाज से कोयला और एटमी ऊर्जा से छुटकारा पाना है.