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वाशिंगटन। इस्लामाबाद द्वारा अस्थिरता पैदा करने का आरोप लगाने के बाद व्हाइट हाउस ने कहा है कि पाकिस्तान में रह रहे या अफगानिस्तान के साथ लगने वाली सीमा पर रह रहे अफगान शरणार्थियों के आतंकवादी कृत्यों में शामिल होने के कोई संकेत नहीं मिले हैं। व्हाइट हाउस में राष्ट्रीय सुरक्षा प्रवक्ता जॉन किर्बी ने यह बात कही। दरअसल पाकिस्तानी रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने दो दिन पहले कहा था कि देश में बढ़ते आतंकवादी हमलों के बीच अफगान शरणार्थियों को पाकिस्तान में बसने की अनुमति देना एक गंभीर गलती थी। आसिफ ने कहा था, ‘‘मौजूदा स्थिति ने अफगान शरणार्थियों को प्रदान की गई सुविधाओं के संबंध में चिंताएं बढ़ा दी हैं।’’
उन्होंने कहा कि अफगान शरणार्थियों को आश्रय और सुविधाएं देने के परिणाम पाकिस्तान को भुगतने पड़े हैं। उन्होंने अफगान नागरिकों पर आतंकी गतिविधियों में शामिल होने का भी आरोप लगाया। इस पर किर्बी ने कहा, पाकिस्तान में या अफगानिस्तान से लगने वाली उसकी सीमा पर रह रहे अफगान शरणार्थियों के आतंकवादी कृत्यों में शामिल होने के हमें कोई संकेत नहीं दिख रहे हैं। उन्होंने कहा कि इतनी अधिक संख्या में अफगान नागरिकों की मदद करने के लिए अमेरिका पाकिस्तान की सराहना करता है और ‘‘हम आतंकवाद की चुनौतियों से निपटने के लिए पाकिस्तान के साथ काम करना जारी रखने वाले हैं।
किर्बी ने कहा, ‘ मेरा मतलब है कि राष्ट्रपति ने स्पष्ट कर दिया है कि हम आतंकवाद विरोधी क्षमता में सुधार को गंभीरता से लेने और हम इसका प्रभावी ढंग से उपयोग करने वाले हैं। आसिफ ने कहा था कि इमरान खान के नेतृत्व वाली पिछली सरकार ने अपने कार्यकाल के दौरान काफी गंभीर गलतियां की थीं। उन्होंने कहा था, ‘‘तीन लाख से अधिक लोगों को यहां लाया गया है, जबकि 500,000 अफगान प्रवासी पहले से मौजूद हैं।’’पाकिस्तानी सेना के शीर्ष अधिकारियों ने तालिबान शासित अफगानिस्तान के परोक्ष संदर्भ में कहा कि ‘पड़ोसी देश’ में प्रतिबंधित तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के आतंकवादियों को पनाहगाह और नए-नए हथियार उपलब्ध कराना आतंकवादी हमलों में वृद्धि के कारणों में से एक हैं। उन्होंने पड़ोसी देश का नाम नहीं लिया।
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