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बैंक अधिकारियों की सांठगांठ से वह एक साल तक इनका इस्तेमाल करता रहा।
पीएनबी घोटाले का मुख्य आरोपी और भगोड़ा हीरा कारोबारी नीरव मोदी ने अब ब्रिटेन के हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। प्रत्यर्पण रोकने के लिए उसने हाईकोर्ट से गुहार लगाई है। नीरव मोदी ने लंदन की निचली अदालत के फैसले को ब्रिटेन के हाईकोर्ट में चुनौती देने की मांग की है। इसी साल फरवरी में लंदन की निचली अदालत ने नीरव मोदी को भारत प्रत्यर्पित किए जाने की मंजूरी दे दी है। भगोड़ा मोदी ने प्रत्यर्पण आदेश के खिलाफ वहां के उच्च न्यायालय में चुनौती देने की अनुमति मांगी है।
ब्रिटिश गृह विभाग से मिल चुकी है अनुमति
CORRECTION | Fugitive diamantaire Nirav Modi files an appeal in the UK High Court seeking permission to challenge the decision against the extradition order made by the lower court and passed by the UK Home Secretary.
— ANI (@ANI) May 1, 2021
(File photo) pic.twitter.com/CrTZme2jgZ
बता दें कि 25 फरवरी को लंदन के वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट कोर्ट ने नीरव मोदी के प्रत्यर्पण को मंजूरी दी थी। ब्रिटिश अदालत के फैसले की जानकारी मिलने के बाद ब्रिटेन के गृह विभाग ने नीरव मोदी के प्रत्यर्पण के लिए अनुमति दी। हीरा कारोबारी नीरव मोदी पर अपने मामा मेहुल चोकसी के साथ मिलकर पंजाब नेशनल बैंक से 13 हजार करोड़ रुपए धोखाधड़ी करने का आरोप है। जनवरी 2018 को पीएनबी ने भारत में नीरव और उसके सहयोगियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई थी, लेकिन इससे पहले ही नीरव मोदी यहां से फरार हो गया।
क्या है पीएनबी घोटाला
भारत के बैंकिंग इतिहास में सबसे बड़ी धोखाधड़ी है। इस घोटाले में मुंबई के फोर्ट में स्थित पीएनबी की ब्रैडी हाउस शाखा में बैंकरों ने फर्जी लेटर्स ऑफ अंडरटेकिंग्स (एलओयू) का इस्तेमाल किया। एक वर्ष की अवधि के लिए मोती के आयात के लिए भारतीय बैंकों की शाखाओं में इन एलओयू का उपयोग किया गया, जबकि भारतीय रिजर्व बैंक के नियम के अनुसार शिपमेंट की तारीख से 90 दिनों तक की समयावधि ही निर्धारित है। बैंक अधिकारियों की सांठगांठ से वह एक साल तक इनका इस्तेमाल करता रहा।
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