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एनएचपीसी की ओर से नेपाल में 480 मेगावॉट की पनबिजली परियोजना विकसित करने की संभावना

Rani Sahu
1 April 2023 11:04 AM GMT
एनएचपीसी की ओर से नेपाल में 480 मेगावॉट की पनबिजली परियोजना विकसित करने की संभावना
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काठमांडू, (आईएएनएस)| अगर सब कुछ योजना के मुताबिक रहा, तो भारत की एनएचपीसी नेपाल में 480 मेगावाट फुकोट करनाली जलविद्युत परियोजना का निर्माण करेगी। कुछ नेपाली मीडिया रिपोटरें के अनुसार, काठमांडू सरकार ने एनएचपीसी इंडिया और सरकार के एक उपक्रम विद्युत उत्पादन कंपनी लिमिटेड (वीयूसीएल) के साथ संयुक्त रूप से परियोजना को विकसित करने का निर्णय लिया है।
कंपनी के प्रबंध निदेशक सूर्या रिजाल ने कहा कि कंपनी ने फैसला किया है कि परियोजना में 51 प्रतिशत एनएचपीसी द्वारा और 49 प्रतिशत बिजली उत्पादन कंपनी द्वारा निवेश किया जाएगा।
उन्होंने कहा, 'हमारी चर्चा एक साल से चल रही है। बोर्ड ने यह फैसला पहले भी पारित किया था। हालांकि, हम फैसला नहीं कर सके। इसे मंत्रिपरिषद से भी मंजूरी मिलनी चाहिए।'
अधिकारियों ने कहा कि अगर बातचीत पूरी होती है, तो संभावना है कि प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड की भारत यात्रा के दौरान परियोजना के संयुक्त विकास के लिए एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए जाएंगे।
रिजाल के मुताबिक, कैबिनेट की मंजूरी के बाद ही यह फैसला लागू होगा।
उन्होंने कहा, हम बहुत जल्द इस फैसले को ऊर्जा मंत्रालय को भेजेंगे। लेकिन हम नहीं जानते कि इसे कब मंजूरी मिलेगी।
उनके मुताबिक एनएचपीसी ने पिछले साल दिसंबर में फुकोट करनाली में निवेश का प्रस्ताव दिया था।
अब एनएचपीसी नेपाल के ऊर्जा क्षेत्र में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में उभरा है।
एनएचपीसी लिमिटेड ने पिछले साल अगस्त में नेपाल में 750 मेगावाट पश्चिम सेती और 450 मेगावाट एसआर-6 जलविद्युत परियोजनाओं को विकसित करने के लिए निवेश बोर्ड नेपाल (आईबीएन) के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए थे।
480 मेगावॉट की फुकोट करनाली जलविद्युत परियोजना, जिसके लिए विस्तृत अध्ययन रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार की जा चुकी है, का निर्माण अभी तक आगे नहीं बढ़ा है।
परियोजना के लिए निवेश जुटाने में असमर्थता के कारण मुख्य संरचना का निर्माण दो साल से शुरू नहीं किया गया है, जो कि तैयारी और निर्माण की स्थिति में है।
यदि मंत्रिपरिषद द्वारा अनुमोदित किया जाता है, तो एनएचपीसी के साथ एक संयुक्त उद्यम निवेश समझौते पर हस्ताक्षर किए जाएंगे। व्यवहार्यता अध्ययन में, यह उल्लेख किया गया है कि परियोजना पर 92.3 अरब रुपये खर्च होंगे और निर्माण शुरू होने के पांच साल के भीतर पूरा किया जा सकता है।
यहां से बनने वाली 480 मेगावॉट बिजली भारत में बेची जाएगी। इस परियोजना की बिजली करनाली कॉरिडोर ट्रांसमिशन लाइन के माध्यम से भारत ले जाया जाएगा।
नेशनल ट्रांसमिशन ग्रिड कंपनी ने करनाली कॉरिडोर में 400 केवी ट्रांसमिशन लाइन बनाने के लिए भारतीय कंपनी कल्पतरु के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।
भारत को 900 मेगावाट अरुण-तीन के निर्माण का कार्य भी सौंपा गया है। 490 मेगावाट के अरुण-चार 679 मेगावाट के लोअर अरुण को भी भारतीय कंपनी को सौंपा है।
संयुक्त दृष्टि पत्र के अनुसार पिछले साल मार्च में दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों के बीच ऊर्जा सहयोग पर मंत्रालय ने कहा कि फुकोट करनाली अर्ध-जलाशय परियोजना दोनों देशों के सरकारी स्वामित्व वाले संगठनों के संयुक्त निवेश से आगे बढ़ रही है। मसौदे में उल्लेख किया गया है कि एनएचपीसी को परियोजना से उत्पन्न होने वाली बिजली और प्रमोटर कंपनी की ओर से परियोजना के निर्माण के लिए आवश्यक ऋण का प्रबंधन करना होगा।
यदि नेपाल परियोजना की बिजली का उपभोग स्वयं करना चाहता है, तो उसे इसे खरीदने का अधिकार होगा। परियोजना की बिजली का निर्यात तभी किया जाएगा, जब नेपाल इसका उपभोग नहीं करेगा।
परियोजना के लाइसेंस खर्च, अध्ययन और पहुंच मार्ग में होने वाले खर्च को कंपनी में पूंजीकृत करने का प्रस्ताव है, प्राधिकरण के शेयर निवेश को परियोजना के निर्माण के लिए खोल दिया जाएगा।
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