नेपाल में 13 मई को मतदान और ईंधन की बढ़ती कीमतों के चलते आगामी महीनों में देश को अति मुद्रास्फीति के हालात का सामना करना पड़ सकता है। काठमांडो पोस्ट अखबार ने उपभोक्ताओं का हवाला देते हुए कहा कि यदि सरकार बाजार की उचित निगरानी में ढिलाई बरतती है और ईंधन की बढ़ती लागत पर चुनाव से पहले लगाम नहीं लगा पाती है तो चीजों के दाम उच्चतम स्तर पर जा सकते हैं।
नेपाल में उपभोक्ता अधिकार जांच फोरम के अध्यक्ष माधव तिमलसीना ने कहा, ईंधन की बढ़ती कीमतों के कारण मुद्रास्फीति बढ़ रही है और आगामी चुनाव सरकार के लिए सिरदर्द का कारण बनेंगे। उन्होंने कहा, इस स्थिति में, सियासी दलों द्वारा संरक्षित निर्माता और व्यापारी, खाद्य उत्पादों की गुणवत्ता और कीमतों से समझौता करते हैं, जिससे जनता में गुस्सा बढ़ रहा है। चालू वित्त वर्ष (2021-22) के पहले पांच महीनों में देश की मुद्रास्फीति सात फीसदी तक पहुंच गई है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले शनिवार को, सरकारी स्वामित्व वाली नेपाल ऑयल कॉर्पोरेशन ने पेट्रोल, डीजल और मिट्टी के तेल की कीमतों में तीन रुपये प्रति लीटर की वृद्धि की, जिससे पेट्रोल की कीमतें रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गईं हैं। यही नहीं, देश ने चार दशकों में पहली बार 2019-20 में 2.1 प्रतिशत की नकारात्मक आर्थिक विकास दर भी देखी है।