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न्यूज़ क्रेडिट: आज तक
जानिए क्या?
नई दिल्ली। तालिबान अपनी बेरहम सजाओं के लिए हमेशा आलोचनाओं का शिकार रहा है. अफगानिस्तान में जब 90 के दशक में तालिबान का कब्जा हुआ करता था तो उस समय लोगों को इतनी खौफनाक सजाएं दी जाती थीं, जिन्हें सोचकर भी इंसान की रूह कांप उठे. अब जब सालों बाद तालिबान एक बार फिर अफगानिस्तान की सत्ता पर काबिज हो गया है, फिर से उस तरह की बेरहम सजाएं भी शुरू हो गई हैं. हाल ही में खबर आई थी कि तालिबान ने तीन महिलाओं पर सैंकड़ों लोगों के सामने कोड़े बरसाए थे. अब एक शख्स को भीड़ के सामने ही सजा-ए-मौत दी गई है. दरअसल, बुधवार को तालिबानी अधिकारियों ने हत्या के आरोपी एक शख्स को सैंकड़ों लोगों के सामने सजा-ए-मौत दी है.
अफगानिस्तान इस्लामी अमीरात (IEA) के उप प्रवक्ता बिलाल करीमी ने कहा अफगानिस्तानी इस्लामिक सुप्रीम कोर्ट ने फराह प्रांत में हत्या के दोषी के खिलाफ ये आदेश दिया गया है. अगस्त 2021 में अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे होने के बाद से यह पहली बार है जब इस तरह का सख्त नीतियों को अपनाया गया है. सार्वजनिक सजा-ए-मौत यह दर्शाती है कि तालिबान इस्लामी कानून यानी शरिया कानून के प्रति अपने इरादों को लेकर प्रतिबद्ध है. तालिबान के प्रवक्ता जबिउल्लाह मुजाहिद के अनुसार, यह सार्वजनिक सजा-ए-मौत भी शरिया कानून के तहत ही दी गई है. सार्वजनिक सजा-ए-मौत के समय तालिबान के शीर्ष नेता स्टेडियम में मौजूद थे.
सैकड़ों दर्शकों और तालिबान के अधिकारियों के सामने दी गई मौत
तालिबान सरकार के प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद ने कहा कि देश की तीन सर्वोच्च अदालतों और तालिबान के सर्वोच्च नेता मुल्ला हैबतुल्ला अखुंदजादा की अनुमति के बाद सार्वजनिक सजा-ए-मौत दी गई. मुजाहिद के अनुसार, सार्वजनिक सजा-ए-मौत पश्चिमी फराह प्रांत में सैकड़ो दर्शकों, राजधानी काबुल और पश्चिमी प्रांत के कई शीर्ष तालिबानी अधिकारियों के सामने दी गई.
हत्या करने पर दी गई ये खौफनाक सजा
समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, तालिबानी प्रवक्ता मुजाहिद ने बताया कि जिस व्यक्ति को सजा-ए-मौत दी गई उसका नाम तजमीर है. हेरात प्रांत का रहने वाला तजमीर को पांच साल पहले मुस्तफा नामक एक व्यक्ति की हत्या कर उसके मोटरसाइकिल और मोबाइल की चोरी करने के आरोप में दोषी करार दिया गया. मुस्तफा के परिवार की ओर से तजमीर पर हत्या का आरोप लगाने के बाद तालिबान सुरक्षा बलों ने उसे गिरफ्तार किया था. तालिबान प्रवक्ता की ओर से जारी बयान में यह नहीं बताया गया है कि तजमीर की गिरफ्तारी कब हुई थी. हालांकि बयान के अनुसार तजमीर ने हत्या की बात कबूल कर ली थी.
वादे से मुकरा तालिबान
1990 में जब तालिबान पहली बार अफगानिस्तान में कब्जा किया था. उस वक्त भी तालिबानी अदालत अपराध के दोषी को सार्वजनिक रूप से मौत की सजा, कोड़े मारने और पत्थर मारने का आदेश देता था. हालांकि अगस्त 2021 में जब तालिबान ने दुबारा अफगानिस्तान पर कब्जा किया तो वादा किया था कि वो नागरिकों के प्रति उदार रहेगा और महिलाओं और अल्पसंख्यक अधिकारों की अनुमति देगा. इसके बावजूद तालिबान ने छठी कक्षी के बाद लड़कियों की शिक्षा पर प्रतिबंध लगाने सहित नागरिकों के अधिकारों और स्वतंत्रता को कम करने का काम किया. चोरी, व्यभिचार या घर से भागने के आरोपी कई नागरिकों को दंडित करते हुए सार्वजनिक रूप से कोड़े मारने का आदेश दिया है.
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