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नए अध्ययन का दावा- अब तक बच्चों के लिए कम खतरनाक रहा है कोरोना

Gulabi
9 July 2021 1:56 PM GMT
नए अध्ययन का दावा- अब तक बच्चों के लिए कम खतरनाक रहा है कोरोना
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कोरोना महामारी ने पूरी दुनिया में भारी तबाही मचाई है

कोरोना महामारी ने पूरी दुनिया में भारी तबाही मचाई है। चाहें कमजोर देश हों या अमेरिका जैसा शक्तिशाली देश इसकी विभीषिका से कोई नहीं बच सका है। दुनिया भर में 40 लाख से ज्यादा लोगों की इससे जान चली गई है। लेकिन एक नवीनतम अध्ययन में सुकून देने वाले नतीजे सामने आए हैं। कोरोना वायरस बच्चों को ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचा रहा। बच्चों में यह ज्यादा गंभीर रूप नहीं ले रहा और न ही इससे संक्रमित होने के बाद ज्यादातर बच्चों को अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत पड़ रही है। संक्रमण के चलते बच्चों में मौत का प्रतिशत भी बहुत कम है।

यूनिवर्सिटी कालेज लंदन के विज्ञानियों के नेतृत्व में हुए अध्ययन में यह भी देखने को मिला की कई पुरानी बीमारियों और न्यूरो-विकलांगता से ग्रस्त बच्चों को कोरोना वायरस से ज्यादा खतरा है। यह अध्ययन करने वाली टीम में यूनिवर्सिटी आफ यार्क, यूनिवर्सिटी आफ ब्रिस्टल और यूनिवर्सिटी आफ लिवरपूल के विज्ञानी भी शामिल थे।
अध्ययन करने वाली टीम ने इंग्लैंड के सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के आकलन में पाया कि कोरोना वायरस के चलते जितने युवाओं की मौत हुई, उनमें से 15 कई पुरानी बीमारियों से ग्रस्त थे, इनमें से 13 को गंभीर न्यूरो विकलांगता की समस्या थी। जबकि, छह को पिछले पांच साल के दौरान कोई गंभीर बीमारी नहीं हुई थी। इसके अलावा 36 बच्चों की जब मौत हुई तब वो कोरोना से संक्रमित थे, लेकिन उनकी मौत का कारण कुछ और ही था। मृतकों में ज्यादातर 10 साल से ज्यादा उम्र के और श्वेत या एशिया मूल के थे।
अध्ययन करने वाले दल के अगुआ प्रो. रसेल विनर का कहना है कि बच्चों का टीकाकरण के बारे में फैसला करने से पहले विस्तृत शोध की जरूरत है। अमेरिका और इजरायल में बच्चों पर किए जा रहे अध्ययन को भी ध्यान में रखना है। उन्होंने कहा कि अध्ययन में एक बात यह सामने आई कि बच्चों में कुछ वर्ग समूह ऐसे हैं जिनका टीकाकरण जरूरी है। हालांकि, कोरोना से इस समूह के सदस्यों को भी मौत और गंभीर संक्रमण का खतरा कम है, लेकिन सामान्य लोगों की तुलना में वो ज्यादा जोखिम में हैं।
इंपेरियल कालेज लंदन की एलिजाबेथ व्हाइटकर ने कहा, 'यद्यपि कि यह आंकड़ा इस साल फरवरी तक का है लेकिन हाल में सामने आए डेल्टा वैरिएंट से इसमें कोई बदलाव नहीं आया है। हम उम्मीद करते हैं कि यह आंकड़ा बच्चों, युवाओं और उनके परिवार के लिए आश्वस्त करने वाला होगा।'
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