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हालांकि यह भी पाया गया कि डीसी1 सेल्स ट्यूमर को कम करने के लिए जरूरी नहीं हैं।
कैंसर का इलाज अभी भी विज्ञान के लिए एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। माना जाता है कि यदि स्थितियां सही हों तो शरीर का टी-सेल्स कैंसर कोशिकाओं की पहचान कर उसे मारने का काम करता है। लेकिन यह भी पाया गया है कि कैंसर के अधिकांश रोगियों में ये टी-सेल्स अपना काम करने में उस समय अक्षम हो जाते हैं, जब वे ट्यूमर वाले माहौल में होते हैं। यह शोध 'इम्युनिटी जर्नल' में प्रकाशित हुआ है।
इन स्थितियों के मद्देनजर विज्ञानी अब इस कोशिश में लगे हैं कि सुस्त पड़ जाने वाले टी-सेल्स को किस प्रकार से सक्रिय किया जाए ताकि उसका इस्तेमाल इलाज के लिए किया जा सके। इस संबंध में हुए अधिकांश शोधों में खासकर कैंसर इम्यूनोथेरेपी में फोकस यह पता करने पर रहा है कि टी-सेल्स को कैसे प्रत्यक्ष तौर पर सक्रिय किया जा सके। लेकिन एमआइटी के शोधकर्ताओं ने अब एक ऐसे नए तरीके की खोज की है, जिसमें कि सहयोगी इम्यून सेल्स, जिसे डेंडिटिक सेल्स कहते हैं, को जुटा कर परोक्ष तौर पर टी-सेल्स को सक्रिय किया जा सकता है।
टी-सेल्स के मददगार सेल्स की पहचान : इस नए अध्ययन में शोधकर्ताओं ने डेंडिटिक सेल्स के एक ऐसे विशिष्ट समूह की पहचान की है, जो बड़े ही खास तरीके से टी-सेल्स को सक्रिय करता है। ये डेंडिटिक सेल्स रोगी के ट्यूमर प्रोटीन में खुद को छिपा लेते हैं, और छद्म कैंसर सेल्स बनकर टी-सेल्स की सक्रियता को बढ़ा देते हैं। एमआइटी के शोधकर्ताओं के मुताबिक, हम जानते हैं कि डेंडिटिक सेल्स एंटी ट्यूमर इम्यून रेस्पांस के लिए काफी अहम हैं, लेकिन हम यह नहीं जानते थे कि डेंडिटिक सेल्स में ऐसा क्या होता है, जो उसे ट्यूमर के खिलाफ उचित रूप से सक्रिय होने को तैयार करता है।
डेंडिटिक सेल्स की विशिष्ट भूमिका खोजी : सामान्य पर जब ट्यूमर बनना शुरू होता है तो वह कैंसर कारक प्रोटीन का स्नाव होता है, जिसे टी-सेल्स बाहरी तत्व के रूप में पहचान करता है। इस स्थिति में कभी-कभार टी-सेल्स ट्यूमर को बड़ा होने से पहले ही खत्म कर देता है। जबकि एक अन्य स्थिति यह भी होती है कि ट्यूमर केमिकल सिग्नल स्नावित करने लगता है, जिससे टी-सेल्स निष्क्रिय हो जाता है और ट्यूमर तेजी से बढ़ने लगता है।
डेंडिटिक सेल्स ट्यूमर से लड़ने वाले टी-सेल्स को सक्रिय करने में मदद तो करते हैं, लेकिन ये डेंडिटिक सेल्स कई प्रकार के होते हैं और टी-सेल्स को सक्रिय करने में किनकी क्या विशिष्ट भूमिका है, उसके बारे में ठोस जानकारी नहीं है। इसलिए, एमआइटी के विज्ञानियों ने यह पता लगाने की कोशिश की कि किस प्रकार का डेंडिटिक सेल्स टी-सेल्स को सक्रिय कर सकता है, जो ट्यूमर को सफलतापूर्वक खत्म कर सके।
चूहों पर किए गए प्रयोग में पाया गया कि डीसी1 सेल्स सर्वाधिक उपयुक्त डेंडिटिक सेल्स हैं, जो एंटी ट्यूमर इम्युनिटी के लिए जरूरी हैं और ये टी-सेल्स से प्रतिक्रिया करके उसे कैंसर सेल्स को खत्म करने के लिए सक्षम बनाते हैं। हालांकि यह भी पाया गया कि डीसी1 सेल्स ट्यूमर को कम करने के लिए जरूरी नहीं हैं।
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