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इमरान खान के नाम जुड़ा नया रिकॉर्ड, विश्वास मत में हारने वाले पाकिस्तान के पहले पीएम बने
Renuka Sahu
10 April 2022 2:53 AM GMT
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फाइल फोटो
पाकिस्तान में चले सियासी घमासान के बीच शनिवार 10 अप्रैल 2022 को आखिरकार प्रधानमंत्री इमरान खान की अविश्वास प्रस्ताव पर हुए मतदान में हार हो ही गई।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। पाकिस्तान में चले सियासी घमासान के बीच शनिवार 10 अप्रैल 2022 को आखिरकार प्रधानमंत्री इमरान खान की अविश्वास प्रस्ताव पर हुए मतदान में हार हो ही गई। अब देश में सोमवार को नए प्रधानमंत्री का चयन किया जाएगा जिसकी दौड़ में सबसे आगे पीएमएल-एन के शाहबाज शरीफ हैं। वो विपक्ष के नेता भी हैं और नेशनल असेंबली में सबसे सबसे अधिक सीट उनके पास ही हैं। इसके बाद पीपीपी का नंबर आता है। इसके साथ ही इमरान खान नेशनल असेंबली में अविश्वास प्रस्ताव हारने वाले पहले प्रधानमंत्री भी बन गए हैं। हालांकि उन्होंने इससे बचने की पूरी कोशिश की और रणनीति भी बनाई लेकिन नेशनल असेंबली और सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आगे वो बेबस नजर आए।
शनिवार को सुबह से लेकर रात तक नेशनल असेंबली में राजनीतिक ड्रामा चलता रहा। विपक्ष की वोटिंग की मांग को लगातार आगे बढ़ाया जाता रहा। अंत में स्पीकर को वोटिंग करानी ही पड़ी। इस वोटिंग में अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में 174 वोट पड़े जबकि इमरान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआइ) मतदान से दूर रही। शनिवार को पूरे दिन चले नेशनल असेंबली के सत्र की सबसे खास बात ये रही कि प्रधानमंत्री इमरान खान इससे नदारद रहे। इस सत्र की कमान मुख्य रूप से उनकी सरकार के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी के हाथों में रही। उन्होंने अपने संबोधन में दोपहर को ये मान लिया था कि आज उनका विदेश मंत्री के तौर पर आखिरी दिन है।
आपको बता दें कि नेशनल असेंबली की 342 सीटों में बहुमत के लिए 172 का आंकड़ा चाहिए होता है। विपक्ष के पास इससे दो सीटें अधिक थी। हालांकि ये नंबर उससे कम थे जिसका दावा विपक्ष पहले कर रहा था। यहां पर एक और खास बात है, वो ये कि पाकिस्तान के इतिहास में आज तक कोई भी प्रधानमंत्री अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सका है। इमरान खान का नाम भी अब उसी फहरिस्त में जुड़ गया है।
क्रिकेट से राजनीति में आने वाले इमरान खान ने 1992 का विश्व कप जीत कर पाकिस्तान के लोगों के दिलों पर राज किया था। क्रिकेट से सन्यास लेने के बाद उन्होंने 1997 में पाकिस्तान तहरीक ए इंसाफ पार्टी का गठन किया। शुरुआती दौर में उन्हें राजनीति में किसी ने कोई तवज्जो नहीं दी थी। 2002 में वो पहली बार आम चुनाव में उतरे और मियांवाली सीट से जीते। 2007 और 2018 में भी उन्होंने यहां से ही जीत हासिल की। 2013 में उनके कदम राजनीति में जमने लगे थे। उन्होंने पाकिस्तान में खुद को पीपीपी और पीएमएल-एन का विकल्प बताते हुए अपनी जगह बनाई। 2016 में पीटीआई के झंडे तले उन्होंने एक रैली की जिसमें उन्होंने पनामा पेपर्स लीक का मुद्दा जोर शोर से उठाया। इसका खामियाजा नवाज शरीफ को अपनी सरकार खोकर भुगतना पड़ा था। 2018 के आम चुनाव में उनकी हवा में दूसरे नेता साफ हो गए। उन्होंने 176 सीटों पर जीत दर्ज की थी।
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