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भविष्य के खतरे से अपना बचाव करें। समय के साथ वायरस के दुष्प्रभाव के दायरे का पता चल रहा है।
कोरोना का दुष्प्रभाव जानने के लिए अलग-अलग तरह के 30 विशेषज्ञों ने कोरोना मरीजों पर अध्ययन के बाद ये दावा किया है। कोलंबिया यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने इस रिपोर्ट का विश्लेषण किया है और बताया है कि सीने में दर्द के साथ कुछ मरीजों में मधुमेह के साथ फेफड़ों में खून का थक्का जमने समेत अन्य तकलीफें देखने को मिली हैं।
वैज्ञानिकों ने ये भी स्पष्ट किया है कि जिन मरीजों में लंबे समय तक लक्षण दिखे हैं उनमें पहले से कोई न कोई स्वास्थ्य संबंधी तकलीफ रही है। कोलंबिया यूनिवर्सिटी की इलेन वाई वैन का कहना है कि कुछ युवा मरीजों में देखा गया है कि संक्रमण के बाद उनकी हृदय गति तेज देखी गई है।
हृदय को सबसे अधिक नुकसान
विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना संक्रमण के बाद स्ट्रोक, हृदय गति रूकने के साथ हृदय को बड़ा नुकसान हो सकता है। इसी तरह शोधकर्ता एनी नलबांदियन का कहना है कि इस तरह की तकलीफें पोस्ट कोविड का कारण हो सकती है।
कुछ मरीजों को असहज महसूस होने के साथ फैसला लेने की क्षमता और ध्यान केंद्रित करने में भी तकलीफ हो रही है। कुछ मरीजों को संक्रमण के बाद अंग संबंधी तकलीफ देखने को भी मिल रही है।
नियमित डॉक्टरी सलाह लेना जरूरी
विशेषज्ञों का कहना है कि पोस्ट कोविड लक्षणों और स्वास्थ्य संबंधी तकलीफों से बचने के लिए नियमित डॉक्टरी सलाह जरूरी है। कोरोना को मात देने वाले लोगों को स्वास्थ्य के प्रति अधिक सतर्क रहना होगा।
हृदय संबंधी, पाचन संबंधी, मस्तिष्क संबंधी या फेफड़ों या सांस संबंधी कोई तकलीफ होती है तो बिना देर किए डॉक्टरी सलाह लें और भविष्य के खतरे से अपना बचाव करें। समय के साथ वायरस के दुष्प्रभाव के दायरे का पता चल रहा है।
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