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धरती से टकराने वाले एस्टोरॉयड को लेकर नया खुलासा, जानें अब कौन सी बात आई सामने

Gulabi
15 July 2021 1:57 PM GMT
धरती से टकराने वाले एस्टोरॉयड को लेकर नया खुलासा, जानें अब कौन सी बात आई सामने
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हम धरतीवासियों को हमेशा एक डर सताता रहता है

हम धरतीवासियों को हमेशा एक डर सताता रहता है. ब्रह्मांड में तैर रहे विशालकाय एस्टोरॉयड (Asteroids) किसी भी वक्त तूफान की स्पीड से आकर पृथ्वी से टकरा सकते हैं. अब एक नई स्टडी में पता चला है कि यह खतरा पृथ्वी के लिए नया नहीं है. प्राचीन समय में अक्सर हमारे शहरों से भी बड़े-बड़े एस्टोरॉयड पृथ्वी से टकराते रहते थे. ऐसे ही एक विशालकाय एस्टोरॉयड की वजह से धरती से डायनासोर भी गायब हो गए.


नए अध्ययन में यह बात सामने आई है कि करीब 1.5 करोड़ साल पहले हमारे ग्रह पर शहर के बराबर साइज के एस्टोरॉयड की बरसात सी होती रहती थी. कई एस्टोरॉयड तो राज्य के आकार से भी बड़े हुआ करते थे. स्पेस.कॉम में छपी खबर के मुताबिक पिछले हफ्ते गोल्डस्मिथ जियोकेमिस्ट्री कॉन्फ्रेंस में इस रिसर्च को पेश किया गया था. 250 से 350 करोड़ साल तो पृथ्वी पर बुरा हाल था और लगभग रोज ही एस्टोरॉयड धरती पर गिरते रहते थे. इसके सबूत आज भी धरती पर मिलते हैं.

इस टीम ने किया अध्ययन
कोलोराडो के साउथवेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट की प्रमुख वैज्ञानिक सिमोन मारची और उनके साथियों ने यह रिसर्च की है. इस दौरान उन्होंने Spherules की मौजूदगी का अध्ययन किया. यह एक वाष्पीकृत चट्टान के छोटे बुलबुलों को एस्टोरॉयड के प्रभाव के साथ स्पेस में फेंका गया, लेकिन यह जमकर एक पतली परत बनते हुए वापस धरती पर आ गिरा. टीम ने एस्टोरॉयड के प्रभाव का पता लगाने के लिए नए मॉडल का उपयोग किया. शोध में पाया गया कि जितना बड़ा एस्टोरॉयड होगा, पत्थर में उतनी ही मोटी spherules की परत बनेगी.

पुराने एस्टोरॉयड से तुलना करने पर सामने आए नतीजे
मगर जब शोधकर्ताओं ने बेडरॉक पर spherules की वास्तविक परत की तुलना पिछले एस्टोरॉयड के प्रभाव से की तो पाया कि दोनों एक समान नहीं थे. मारची ने बयान में कहा, 'हमने मौजूदा मॉडल से पाया है कि धरती पर एस्टोरॉयड के प्रभाव को कम करके आंका गया है. अब तक हमने जितना सोचा है, यह प्रभाव उससे 10 गुना ज्यादा शक्तिशाली रहा है. खासतौर से 350 से 350 करोड़ साल पहले.' शोध में यह भी पाया गया है कि इन एस्टोरॉयड के हमलों की वजह से ऑक्सीजन लेवल भी प्रभावित हुआ है और इस वजह से कई युवा ग्रहों पर जीवन की योग्यता को भी नुकसान पहुंचा है. मारची ने कहा, 'हमने पाया है कि उस दौरान ऑक्सीजन लेवल बुरी तरह से ऊपर-नीचे हुआ है.


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