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इस खबर ने रक्षा विशेषज्ञों में खासी दिलचस्पी पैदा की है कि चीन की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए अमेरिकी सेना ने एक खास उपकरण (टूल) बनाया है।
इस खबर ने रक्षा विशेषज्ञों में खासी दिलचस्पी पैदा की है कि चीन की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए अमेरिकी सेना ने एक खास उपकरण (टूल) बनाया है। बताया गया है कि ये उपकरण प्रशांत क्षेत्र में चीन के लड़ाकू जहाजों की गतिविधियों, हथियारों की बिक्री और ताइवान के खिलाफ उसकी कार्रवाइयों की निगरानी करेगा। इसके आधार पर वह पैदा हो रहे खतरों की सूचना अमेरिकी सैन्य अधिकारियों को देगा।
नया टूल 'सामरिक टकराव' की गणना पर आधारित
अमेरिकी मीडिया में छपी जानकारियों के मुताबिक इस टूल में अतीत उन घटनाओं के बारे में सूचनाएं दर्ज हैं, जिनसे अमेरिका और चीन के संबंध पर खराब असर पड़ा था या जिनकी वजह से दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ा था। जानकारों के मुताबिक ये टूल 'सामरिक टकराव' की गणना पर आधारित है। बताया जाता है कि उसी गणना के आधार पर यह भविष्य में संभावित टकरावों की भविष्यवाणी करने में सक्षम है। इस टूल के निर्माण के बारे में सबसे पहले खबर एक समाचार एजेंसी ने दी। बाद में मीडिया में उससे जुड़ी दूसरी सूचनाएं चर्चित हुईं।
एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक जो बाइडन प्रशासन में रक्षा उप मंत्री कैथलीन हिक्स को इस हफ्ते इस नए टूल के बारे में जानकारी दी गई। उसके बाद एक मीडिया इंटरव्यू में हिक्स ने कहा कि अमेरिका को ऐसे उपकरणों की जरूरत है, जो व्यापक दायरे के संकेतों पर नजर रखे। साथ ही उन संकेतों को एक साथ जोड़ते हुए चीन से पैदा हो सकने वाले खतरों का आकलन पेश कर सके।
इसी साल अक्तूबर में की गई पहल
मीडिया रिपोर्टों में अमेरिकी अधिकारियों के हवाले से बताया गया है कि इस टूल को बनाने की पहल इसी साल अक्तूबर में की गई। तब अमेरिका ने अपना लड़ाकू जहाज ताइवान जलडमरूमध्य में भेजा था। इसकी चीन ने निंदा की थी, जिससे दोनों में तनाव बढ़ गया था। अधिकारियों के मुताबिक ये टूल अमेरिकी कदमों पर भी नजर रखेगा। मसलन, अमेरिकी कांग्रेस के सदस्यों की ताइवान यात्रा और इंडो पैसिफिक क्षेत्र में अमेरिका की तरफ से अपने सहयोगी देशों को हथियारों की बिक्री संबंधी तमाम सूचनाएं इसमें दर्ज रहेंगी। अधिकारियों का दावा है कि ऐसे अमेरिकी कदमों पर चीन क्या प्रतिक्रिया दिखाएगा, उसकी भविष्यवाणी ये टूल चार महीने पहले कर सकेगा।
इस बीच रूसी वेबसाइट रशियाटुडे.कॉम पर छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक चीन के सोशल मीडिया पर इस टूल का मखौल उड़ाया गया है। वहां कुछ लोगों ने कहा है कि ये टूल आसान फॉर्मूले पर आधारित है। लेकिन इससे दोनों देशों के रिश्तों को और नुकसान पहुंचेगा। उधर बताया जाता है कि पश्चिमी देशों में इस खबर पर मोटे तौर पर हैरत जताई गई है। कुछ लोगों ने सवाल उठाया है कि क्या ये टूल अमेरिका-चीन संबंधों को सुधारने मे सहायक होगा या इससे बात और बिगड़ेगी।
बीते दो वर्षों में ताइवान के मसले पर अमेरिका और चीन के संबंध लगातार अधिक तनावपूर्ण होते गए हैं। इस बीच अमेरिका ने चीन में मानवाधिकारों के कथित हनन का आरोप लगाते हुए अगले साल फरवरी में बीजिंग में होने वाले विंटर ओलिंपिक खेलों के कूटनीतिक बहिष्कार का एलान कर दिया है। इन्हीं हालात के कारण इस टूल की खबर को दुनिया में गंभीरता से लिया गया है।
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