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नेपाल के प्रधानमंत्री बने केपी शर्मा ओली, विपक्षी दल नहीं जुटा सके बहुमत

Apurva Srivastav
13 May 2021 6:26 PM GMT
नेपाल के प्रधानमंत्री बने केपी शर्मा ओली, विपक्षी दल नहीं जुटा सके बहुमत
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तीन दिन के समय में विपक्ष नहीं कर पाया बहुमत का इंतजाम

नेपाल में मुख्य विपक्षी दल नेपाली कांग्रेस और सरकार से अलग हुई पुष्प कमल दहल प्रचंड की नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी केंद्र) की सरकार बनाने की कोशिशें परवान नहीं चढ़ सकीं। गुरुवार को रात नौ बजे का समय बीतने के बाद राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने केपी शर्मा ओली को एक बार फिर से देश का प्रधानमंत्री नियुक्त कर दिया। ऐसा उन्होंने देश के संविधान में प्राप्त शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए किया। इससे पहले तीन दिन तक नेपाल की ओली विरोधी राजनीतिक ताकतें अपने लिए बहुमत का बंदोबस्त नहीं कर पाईं।

तीन दिन के समय में विपक्ष नहीं कर पाया बहुमत का इंतजाम

इसके चलते मुख्य विपक्षी दल नेपाली कांग्रेस की ओर से वैकल्पिक सरकार बनाने का दावा पेश नहीं हो सका। सोमवार को संसद में विश्वास मत हारने वाले ओली तीन दिन बाद फिर से नेपाल के पूर्ण अधिकार संपन्न प्रधानमंत्री बन गए। ऐसा विरोधियों के सरकार बनाने में नाकाम रहने के चलते हुआ। विश्वास मत हारने से सोमवार को ओली सरकार गिरने के बाद राष्ट्रपति ने राजनीतिक दलों को गुरुवार रात नौ बजे तक वैकल्पिक सरकार बनाने के लिए दावा पेश करने का मौका दिया था। संवैधानिक व्यवस्था के अनुसार ओली कार्यवाहक प्रधानमंत्री बन गए थे।
नेपाली कांग्रेस के संयुक्त महासचिव प्रकाश शरण महत ने माना कि विपक्षी दल सरकार बनाने के लिए आवश्यक बहुमत का इंतजाम कर पाने में विफल रहे। वैकल्पिक सरकार बनाने की कवायद में 61 सांसदों वाली नेपाली कांग्रेस को प्रचंड की पार्टी के 49 सांसदों का समर्थन हासिल था। लेकिन जनता समाजवादी पार्टी समर्थन के लिए तैयार नहीं थी।
पार्टी का उपेंद्र यादव की अगुआई वाला धड़ा देउबा के समर्थन के लिए तैयार था लेकिन उसके पास 15 सांसद ही थे, 16 सांसदों वाला महंत ठाकुर धड़ा देउबा को समर्थन देने के पक्ष में नहीं था। इस प्रकार से देउबा के समर्थन में सांसदों की संख्या 125 से आगे नहीं बढ़ पा रही थी जबकि बहुमत के लिए कम से कम 136 सांसदों का समर्थन जरूरी था।
नेपाली संसद के निचले सदन प्रतिनिधि सभा की मौजूदा कुल सदस्य संख्या 271 की है। इस बीच ओली की पार्टी नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी (यूएमएल) की अंतर्कलह को लेकर गुरुवार को समझौता भी हो गया। इसके लिए पार्टी प्रमुख ने पहले माधव नेपाल समेत चार सांसदों का निलंबन वापस लिया।
ओली और नेपाल में हुए समझौते के तहत अब विद्रोही गुट के 28 सांसद संसद की सदस्यता से सामूहिक इस्तीफा नहीं देंगे। सोमवार को इन 28 सांसदों ने ओली द्वारा पेश विश्वास मत में हिस्सा नहीं लिया था और न ही मतदान किया था। इस प्रकार से ओली को एक बार फिर से पार्टी के 121 सांसदों का समर्थन हासिल हो गया है।


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