नेपाल के पीएम पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ ने सोमवार को अपनी इस विवादास्पद टिप्पणी पर खेद व्यक्त किया कि यहां रहने वाले एक भारतीय व्यवसायी ने उन्हें पीएम बनाने के कोशिश किए थे. ‘प्रचंड’ ने बोला कि उन्हें अपनी वर्तमान हैसियत को देखते हुए ऐसी टिप्पणियां नहीं करनी चाहिए थीं. तीन जुलाई को, एक पुस्तक के विमोचन कार्यक्रम के दौरान पीएम प्रचंड ने बोला था कि नेपाल में अग्रणी उद्यमी सरदार प्रीतम सिंह ने नेपाल-भारत संबंधों को प्रगाढ़ बनाने में जरूरी और ऐतिहासिक किरदार निभाई और उनके लिए पैरवी की थी.
‘प्रचंड’ ने कहा, ”उन्होंने (सिंह) एक बार मुझे पीएम बनवाने का कोशिश किया था.” सोमवार को संसद सत्र को संबोधित करते हुए अपनी विवादास्पद टिप्पणी पर सफाई दी. उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री के तौर पर मैंने जो बोला, वह मुझे नहीं कहना चाहिए था. उस दिन मैंने पीएम के तौर पर नहीं, बल्कि एक बेटी के पिता के तौर भाषण दिया था.” प्रचंड ने बोला कि जब उनकी बड़ी बेटी ज्ञानू कैंसर से गंभीर रूप से बीमार थी, तो उनके बेटे प्रकाश उन्हें दिल्ली ले गए थे, जहां उन्होंने बेटी का उपचार कराया और अस्थायी रूप से प्रीतम सिंह के आवास पर रुके. उन्होंने बोला कि इस ठहराव के दौरान सिंह ने बोला था, ‘‘प्रचंड को पीएम बनना चाहिए.’’
विरोध के बाद व्यक्त किया खेद
प्रचंड के इस बयान पर विपक्ष ने पार्लियामेंट में हंगामा खड़ा कर दिया था. पूरा विपक्ष इस मामले पर प्रचंड का इस्तीफा तक मांगने लगा था. इससे प्रचंड पर लगातार दबाव बढ़ता जा रहा था. अब जाकर उन्हें एहसास हुआ कि पीएम पद की गरिमा को देखते हुए उन्हें ऐसा नहीं कहना चाहिए । इसके बाद प्रचंड ने पार्लियामेंट में सभी सियासी पार्टियों से अपने वक्तव्य को लेकर खेद व्यक्त कर दिया है.