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अध्यक्षता वाली उच्चतम न्यायालय की पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने पांच महीने के अंदर दूसरी बार सोमवार को प्रतिनिधि सभा को बहाल किया था.
नेपाल के नवनियुक्त प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा (Sher Bahadur Deuba) रविवार को विश्वास मत का सामना करेंगे. इसे लेकर आज प्रतिनिधि सभा की बैठक बुलाई गई है. देउबा को सुप्रीम कोर्ट के 12 जुलाई के फैसले के बाद 13 जुलाई को देश के प्रधानमंत्री के पद के लिए नियुक्त किया गया था. कोर्ट ने 21 मई को भंग हुई प्रतिनिधि सभा को भी बहाल कर दिया है. वहीं कैबिनेट ने गुरुवार को सदन के सत्र को रविवार शाम चार बजे रखने की सिफारिश की थी.
संविधान के अनुच्छेद 76(5) के तहत नियुक्त किए गए प्रधानमंत्री को नियुक्ति के 30 दिनों के भीतर विश्वास मत हासिल करना होता है. अगर विश्वास मत हासिल ना किया जाए, तो सदन को भंग करना पड़ता है और छह महीने के भीतर चुनाव होते हैं (Sher Bahadur Deuba Vote of Confidence). देउबा को 271 सदस्यों वाले निचले सदन में विश्वास मत हासिल करने के लिए 136 वोट की जरूरत है. यहां नेपाली कांग्रेस के पास 61 सीटें हैं जबकि गठबंधन सहयोगी नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी सेंटर) के पास 49 सीट हैं. जनता समाजवादी पार्टी के उपेंद्र यादव के नेतृत्व वाला धड़ा देउबा के साथ खड़ा है. इसमें कम से कम 12 विधायक हैं.
देउबा को वोट देगा राष्ट्रीय जनमोर्चा
इसी तरह राष्ट्रीय जनमोर्चा ने भी एक सीट के साथ देउबा को वोट देने का फैसला किया है. देउबा को विश्वास मत जीतने के लिए यूएमएल के माधव नेपाल गुट के समर्थन की आवश्यकता भी होगी. लेकिन पार्टी की स्थायी समिति ने विश्वास प्रस्ताव के खिलाफ खड़े होने का फैसला किया है. पूर्व प्रधानमंत्री के. पी. शर्मा ओली (KP Sharma Oli Nepal Politics) के नेतृत्व वाले सीपीएन-यूएमएल धड़े ने शुक्रवार को निर्णय किया कि प्रतिनिधि सभा में विश्वास मत के दौरान वह देउबा के खिलाफ वोट देगा. काठमांडू में पार्टी की स्थायी समिति की बैठक में यह निर्णय किया गया.
ओली की अध्यक्षता में हुई है बैठक
पार्टी की तरफ से जारी बयान के मुताबिक इसने संसद में विपक्ष में रहने का भी निर्णय किया है. ओली की अध्यक्षता में हुई बैठक में पार्टी के अंदर विवादों के समाधान के लिए पार्टी के कार्यबल की तरफ से दिए गए दस सूत्री प्रस्ताव को भी मंजूरी दी गई (Nepal Politics Latest News). बहरहाल पार्टी के असंतुष्ट नेता माधव कुमार नेपाल के करीबी नेताओं ने उच्चस्तरीय बैठक का बहिष्कार किया है. प्रधान न्यायाधीश चोलेंद्र शमशेर राणा की अध्यक्षता वाली उच्चतम न्यायालय की पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने पांच महीने के अंदर दूसरी बार सोमवार को प्रतिनिधि सभा को बहाल किया था.
Neha Dani
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