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नेपाल: राजनीतिक घमासान खत्म करने के लिए ऐक्शन में राष्ट्रपति, बुलाई सर्वदलीय बैठक
Deepa Sahu
16 March 2021 3:52 PM GMT
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नेपाल की राष्ट्रपति विद्या भंडारी
जनता से रिश्ता वेबडेस्क: काठमांडू: नेपाल की राष्ट्रपति विद्या भंडारी ने देश में जारी राजनीतिक संकट के बीच समकालीन मुद्दों पर चर्चा के लिए मंगलवार को सर्वदलीय बैठक बुलाई है। काठमांडू पोस्ट की खबर के अनुसार, राष्ट्रपति कार्यालय के वरिष्ठ कम्यूनिकेशन इंचार्ज टीका ढकल ने बताया कि राष्ट्रपति भंडारी ने संसद में प्रतिनिधित्व करने वाले सभी दलों के नेताओं और पूर्व प्रधानमंत्रियों को समकालीन राजनीति पर चर्चा के लिए बुलाया है।
ये पार्टियां बैठक में होंगी शामिल
प्रधानमंत्री ओली की नेपाल कम्यूनिस्ट पार्टी (एमाले), माधव कुमार नेपाल और झल्ला नाथ खनाल की नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी, पुष्पा कमल दहल प्रचंड के नेतृत्व वाली नेकपा (माओवादी केन्द्र), जनता समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय प्रजातांत्र पार्टी, राष्ट्रीय जनमोर्चा और नेपाल मज़दूर लिसा पार्टी के नेता इस बैठक में शामिल होंगे।
इससे पहले, 'हिमालयन टाईम्स' की खबर के अनुसार नेकपा-माओवादी केन्द्र के सदस्य शिव कुमार मंडल ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री प्रचंड सदैव ही देश की सभी कम्युनिस्ट शक्तियों के बीच एकजुटता के पक्ष में रहे हैं और सुझाव दिया कि यदि पार्टी के नाम से 'माओवादी केन्द्र' हटाने से इन शक्तियों को एकजुट होने में मदद मिल सकती है तो पार्टी उसके लिए तैयार है।
पार्टी के नाम में बदलाव का प्रस्ताव ऐसे समय में आया है जब नेकपा-माओवादी केन्द्र थोड़ी मुश्किलों में है क्योंकि उच्चतम न्यायालय ने प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली के नेकपा-एमाले का नेकपा-माओवादी केन्द्र में विलय को खारिज कर दिया है। इससे एक ऐसी स्थिति उत्पन्न हो गयी जहां प्रधानमंत्री ओली पार्टी में अपनी स्थिति मजबूत होने के रूप में देखते हैं। उन्हें केंद्रीय समिति और संसदीय दल में स्पष्ट बहुमत प्राप्त है।
2018 में ओली प्रचंड ने विलय की थी पार्टी
गौरतलब है कि 2017 के आम चुनाव में नेकपा-एमाले और नेकपा-माओवादी केन्द्र के गठबंधन की जीत के बाद दोनों ही दलों ने मई, 2018 में नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के रूप में आपस में विलय कर लिया था। दिसंबर, 275 सदस्यीय प्रतिनिधि सभा को भंग करने के ओली के कदम के बाद सत्तारूढ़ एनसीपी में विभाजन हो गया था। अपने ऐतिहासिक फैसले में शीर्ष अदालत ने संसद के निचले सदन को बहाल कर दिया था।
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