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भारत और चीन के साथ संतुलित मैत्रीपूर्ण संबंध रखता है नेपाल: PM Oli

Sanjna Verma
26 Aug 2024 6:26 PM GMT
भारत और चीन के साथ संतुलित मैत्रीपूर्ण संबंध रखता है नेपाल: PM Oli
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काठमांडू Kathmandu: नेपाल के प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली ने सोमवार को कहा कि उनका देश भारत और चीन दोनों के साथ “संतुलित” तरीके से मैत्रीपूर्ण संबंध रखता है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि पड़ोसियों के बीच कभी-कभार होने वाली समस्याएं “स्वाभाविक” हैं और उन्हें‘खुले मन से बातचीत” के जरिए सुलझाया जा सकता है। यहां एक पुस्तक विमोचन समारोह में ओली ने कहा, “हम अपनी जमीन का इस्तेमाल अपने किसी भी पड़ोसी के
खिलाफ
नहीं होने देंगे।” उन्होंने कहा कि हिमालयी राष्ट्र “ईमानदारी और तटस्थता का पालन करते हुए संतुलित तरीके से दोनों पड़ोसियों के साथ अच्छे और मैत्रीपूर्ण संबंध बनाए रखता है।”
चार बार प्रधानमंत्री रह चुके 72 वर्षीय ओली ने कहा कि पड़ोसियों के साथ कभी-कभी समस्याएं होना स्वाभाविक है। उन्होंने कहा, “हम खुली बातचीत के जरिए उन्हें सुलझा सकते हैं।” पुस्तक विमोचन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में ओली ने कहा, “यदि हम मामले पर अधिक विस्तार से चर्चा किए बिना अंतरराष्ट्रीय दायित्वों को बनाए रखते हुए तथ्यों और प्रमाणों के आधार पर न्यायोचित और उपयुक्त समाधान तलाशेंगे तो समस्या उत्पन्न नहीं होगी।”
उन्होंने कहा, “हम संयुक्त राष्ट्र के सिद्धांतों का पालन करते हैं और समस्याओं का तटस्थ और शांतिपूर्ण समाधान चाहते हैं।” उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि आंतरिक कमजोरी को छिपाने के लिए हमेशा भूराजनीति को दोष देना उचित नहीं है। उन्होंने भारतीय पक्ष से नेपाल-भारत प्रतिष्ठित व्यक्ति समूह (EPG Report) द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट को स्वीकार करने को भी कहा, जिसमें अन्य बातों के अलावा 1950 की शांति और मैत्री संधि की समीक्षा से संबंधित मामला भी शामिल है।
उन्होंने कहा कि इससे सीमा संबंधी मुद्दों और अन्य मामलों को सुलझाने के लिए बातचीत में सुविधा होगी। प्रधानमंत्री के रूप में अपने पिछले कार्यकाल के दौरान चीन के साथ व्यापार और पारगमन संधि पर हस्ताक्षर को याद करते हुए उन्होंने कहा कि यह वास्तव में एक बड़ी उपलब्धि थी। ओली को व्यापक रूप से चीन समर्थक माना जाता है, उन्होंने 2016 में पारगमन और परिवहन समझौते (टीटीए) पर हस्ताक्षर किए थे, जिससे चारों ओर से स्थल से घिरे हिमालयी देश को अपने विदेशी व्यापार के लिए चीनी समुद्र और स्थल बंदरगाहों तक पहुंच प्राप्त हुई थी।
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