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नेपाल: नई सरकार के गठन के लिए विचार मंथन जारी, नेपाली कांग्रेस के सामने बहुमत जुटाने की चुनौती
Deepa Sahu
13 May 2021 4:28 PM GMT
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नेपाल में नई सरकार के गठन के लिए राजनीतिक दल लगातार विचार मंथन कर रहे हैं।
काठमांडू, नेपाल में नई सरकार के गठन के लिए राजनीतिक दल लगातार विचार मंथन कर रहे हैं लेकिन ऐसा फॉर्मूला नहीं बन रहा जिससे पूर्ण बहुमत वाली सरकार के लिए दावा किया जा सके। राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने नई सरकार के गठन के लिए दावा पेश करने के वास्ते गुरुवार रात नौ बजे तक का समय निश्चित किया था। सोमवार को संसद में विश्वास मत के दौरान केपी शर्मा ओली सरकार के गिर जाने के बाद नेपाल में यह स्थिति पैदा हुई है। नेपाल में राजनीतिक गहमागहमी की यह स्थिति तब बनी है जबकि देश भीषण कोरोना संकट से जूझ रहा है।
महज तीन करोड़ आबादी वाले देश में ऑक्सीजन और अन्य स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी से लोग मर रहे हैं। ओली इस समय कार्यवाहक प्रधानमंत्री के रूप में देश की व्यवस्थाओं का संचालन कर रहे हैं। प्रतिनिधि सभा में 61 सदस्यों वाली सबसे बड़ी पार्टी नेपाली कांग्रेस ने वैकल्पिक सरकार के गठन का फैसला किया है। प्रधानमंत्री पद के लिए पार्टी अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा का नाम सबसे आगे है। वैकल्पिक सरकार के गठन में सबसे बड़ा रोड़ा जनता समाजवादी पार्टी (जेएसपी) का एक धड़ा बन रहा है।
महंत ठाकुर के नेतृत्व वाला धड़ा सरकार बनाने की प्रक्रिया में शामिल होना नहीं चाहता। प्रतिनिधि सभा में उसके 16 सदस्य हैं। इन्हीं 16 सदस्यों का तटस्थ रुख नेपाली कांग्रेस और 49 सांसदों वाली पुष्प कमल दहल प्रचंड की नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी केंद्र) का खेल बिगाड़ रहा है। वैसे जेएसपी का उपेंद्र यादव धड़ा देउबा के साथ है। इस धड़े में 15 सांसद हैं। अगर इन सबको मिला दिया जाए तो देउबा के नेतृत्व वाले गठबंधन में शामिल सांसदों की संख्या 125 से आगे नहीं बढ़ती, जो बहुमत के आंकड़े से 11 कम है।
चार सदस्यों के निलंबित होने की वजह से इस समय प्रतिनिधि सभा की मौजूदा सदस्य संख्या 271 की है। वैसे ओली ने कुर्सी पर बने रहने के लिए चालें अभी रोकी नहीं हैं। उन्होंने अपनी पार्टी के चार उन सांसदों का निलंबन वापस ले लिया है जिन्हें माधव नेपाल और झालानाथ खनाल का नजदीकी माना जाता था। अगर प्रतिनिधि सभा के स्पीकर ने इन चार सदस्यों का निलंबन रद कर दिया तो सदन की कुल सदस्य संख्या 275 की हो जाएगी और बहुमत का आंकड़ा बढ़कर 138 का हो जाएगा, जो नई सरकार के गठन में और मुश्किल पैदा करेगा।
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