विश्व
नेपाल: मधेसी समुदाय की बड़ी जीत, नेपाल में नागरिकता संशोधन विधेयक वापस
Kajal Dubey
6 July 2022 6:39 PM GMT
x
पढ़े पूरी खबर
प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा के नागरिकता कानून संशोधन बिल वापस ले लेने फैसले को नेपाल के मधेसी समुदाय की एक बड़ी जीत के रूप में देखा जा रहा है। भारत से आकर यहां बसे इस समुदाय के लोग शुरुआत से ही इस संशोधन विधेयक का विरोध कर रहे थे। एक समय इसके खिलाफ नेपाल में जोरदार आंदोलन हुआ था, जिसके बाद सरकार ने विधेयक को ठंडे बस्ते में डाल दिया था।
अब देउबा सरकार ने संसद में पेश हो चुके इस बिल को वापस ले लेने का फैसला किया है। मंगलवार को संघीय मंत्रिमंडल की बैठक में ये निर्णय हुआ। इस में तय किया गया कि इस विधेयक में शामिल 'विवादास्पद' प्रावधानों को हटा कर विधेयक का नया प्रारूप तैयार किया जाएगा। उसके बाद उसे नए सिरे से संसद में पेश किया जाएगा।
बिल का कर रहे थे जबरदस्त विरोध
नेपाल के नागरिक कानून अधिनियम- 2006 में संशोधन के करने के लिए नया बिल तैयार हुआ था। उसे सात अगस्त 2018 को संसद में पेश कर दिया गया। लेकिन देश के कई हिस्सों से उसका विरोध शुरू हो जाने के कारण बिल को पारित कराने की कार्यवाही रोक दी गई। समझा जाता है कि ये विधेयक पारित होने पर नेपाल से लगे भारतीय क्षेत्रों में वैवाहिक रिश्ता बनाने वाले मधेसी नेपाली परिवारों को भारी दिक्कत होती। इसीलिए इस बारे में देश में आम सहमति नहीं बन सकी।
संघीय मंत्रिमंडल की मंगलवार को हुई बैठक के बाद विधि, न्याय एवं संसदीय कार्य मंत्री गोविंदा कोइराला ने पत्रकारों से कहा- 'बिल में कई विवादित प्रावधान थे। इस वजह से यह कई राजनीतिक दलों और हितधारकों के बीच टकराव का मुद्दा बन गया। इसलिए सभी राजनीतिक दलों के बीच ये सहमति बनी है कि इस विधेयक को नए सिरे से तैयार किया जाए। जिन दलों ने इस पर सहमति दी है, उनमें मुख्य विपक्षी दल कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (यूएमएल) भी शामिल है।' कोइराला ने कहा कि नए बिल को सबकी सहमति से तैयार किया जाएगा। उसके बाद उसे संसद में पेश किया जाएगा।
विदेशी महिलाओं को नागरिकता देने पर नहीं बनी सहमति
नागरिकता संशोधन कानून में सबसे विवादास्पद प्रावधान नेपाली पुरुषों से विवाह करने वाली विदेशी महिलाओं की नागरिकता के बारे में था। इस प्रावधान पर संसद की 'राजकीय मामले और सुशासन समिति' ने दो साल तक व्यापक विचार-विमर्श किया। इसके बावजूद नेपाली पुरुषों से शादी करने वाली विदेशी महिलाओं को नागरिकता देने का नियम क्या हो, इस बारे में देश के प्रमुख राजनीतिक दलों में आम सहमति नहीं बन सकी।
आम सहमति के अभाव में संसदीय समिति ने मतदान से फैसला किया था। उसमें बहुमत ने इस प्रावधान का समर्थन किया कि नेपाली पुरुष से विवाह करने वाली विदेशी महिला को सात साल बाद जाकर नेपाल की नागरिकता दी जाए। इस प्रावधान का सबसे पुरजोर समर्थन यूएमएल और कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (माओइस्ट सेंटर) ने किया था। लेकिन नेपाली कांग्रेस ने उस पर अपनी असहमति दर्ज कराई। जब ये बिल संसद में पेश किया गया था, तो उसके साथ ही नेपाली कांग्रेस के असहमति पत्र को भी वहां रखा गया था।
पर्यवेक्षकों के मुताबिक अभी भी इस मुद्दे पर देश में सहमति नहीं है। लेकिन बिल वापस होने के बाद नए सिरे से विचार-विमर्श का रास्ता खुल गया है।
Next Story