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लिंपियाधुरा, लिपुलेख और कालापानी को नेपाल ने फिर बताया अपना हिस्सा, भारत से निर्माण कार्यों को रोकने की अपील की

Kunti Dhruw
16 Jan 2022 5:13 PM GMT
लिंपियाधुरा, लिपुलेख और कालापानी को नेपाल ने फिर बताया अपना हिस्सा, भारत से निर्माण कार्यों को रोकने की अपील की
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नेपाल सरकार ने रविवार को एक बार फिर लिंपियाधुरा, लिपुलेख और कालापानी को अपना हिस्सा करार दिया है।

नेपाल सरकार ने रविवार को एक बार फिर लिंपियाधुरा, लिपुलेख और कालापानी को अपना हिस्सा करार दिया है। इसी के साथ देउबा सरकार ने भारत से कहा है कि उसे इन जगहों पर अपने निर्माण कार्यों को रोक देना चाहिए। नेपाल ने अपील की कि भारत को सीमा विवाद सुलझाने के लिए राजनयिक जरियों का इस्तेमाल करना चाहिए।

नेपाल सरकार का यह बयान काठमांडू स्थित भारतीय दूतावास के उस बयान के बाद आया है, जिसमें कहा गया था कि नेपाल सीमा को लेकर भारत की स्थिति पहले से ही काफी स्पष्ट रही है। भारत इससे पहले भी कई बार लिपुलेख, लिंपियाधुरा और कालापानी को लेकर नेपाल के दावों को खारिज कर चुका है.
इसी मुद्दे पर रविवार को नेपाल के संचार और सूचना मंत्री ज्ञानेंद्र बहादुर कड़की ने कहा कि लिपुलेख, लिंपियाधुरा और कालापानी को लेकर हमारा रुख काफी साफ रहा है। जो भी हिस्से महाकाली नदी के उत्तर की तरफ हैं, वे हमारा अखंड हिस्सा हैं। उन्होंने कहा, "नेपाल सरकार भारत से लगातार इन जगहों पर निर्माण कार्य को रोकने के लिए कह रही है। उन्होंने कहा कि नेपाल सरकार भारत के साथ अपनी दोस्ती को देखते हुए किसी भी तरह के सीमा विवाद को ऐतिहासिक संधियों, समझौतों, दस्तावेजों और नक्शों के जरिए सुलझाने के लिए प्रतिबद्ध है।"
नेपाल ने शुक्रवार को भारत के कदम को बताया था आपत्तिजनक
इससे पहले शुक्रवार को सत्तारूढ़ नेपाली कांग्रेस ने कहा था कि लिपुलेख में सड़क निर्माण जारी रखने का भारत का कदम आपत्तिजनक है। नेपाली कांग्रेस के महासचिव बिश्व प्रकाश शर्मा और गगन थापा ने कहा कि नेपाल और भारत के बीच सीमा विवाद को 1816 की सुगौली संधि के आधार पर सुलझाया जाना चाहिए। नेपाली कांग्रेस के इस वक्तव्य पर नेपाल में भारत के दूतावास ने शनिवार को साफ किया कि नेपाल से सीमा को लेकर भारत का रुख पहले जैसा जगजाहिर और स्पष्ट है।
गौरतलब है कि नेपाल के चीन समर्थक वामपंथी दल अक्सर यह दावा करते रहे हैं कि भारत सरकार उन क्षेत्रों में निर्माण गतिविधियां कर रही है, जो नेपाल के हैं, यहां तक कि जून 2020 में इसके लिए नेपाल ने अपना नक्शा बदलकर इन इलाकों को नक्शे में अपना घोषित कर दिया था।
लिपुलेख दर्रा, कालापानी के पास एक सुदूर पश्चिमी स्थान है, जो नेपाल और भारत के बीच का सीमा क्षेत्र है। नेपाल पिछले कुछ समय से इसे अपना हिस्सा बताने लगा है, जबकि असल में यह उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में आता है। वहीं, नेपाल दावा करता है कि यह उसके धारचूला जिले के हिस्सा है।


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