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न मास्क, न दूरी का ख्याल... अंग्रेजों ने भुला दिया पाबंदियों से तंग आकर कोरोना से मचा हाहाकार

Renuka Sahu
17 Nov 2021 1:55 AM GMT
न मास्क, न दूरी का ख्याल... अंग्रेजों ने भुला दिया पाबंदियों से तंग आकर कोरोना से मचा हाहाकार
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फाइल फोटो 

ब्रिटेन में कोरोना के रोजाना आ रहे नए मामले प्रति दस लाख पर 600 से भी ज्यादा हैं, लेकिन अंग्रेज संक्रमण की रोकथाम के लिए लागू पाबंदियों से ऊब चुके हैं।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। ब्रिटेन में कोरोना के रोजाना आ रहे नए मामले प्रति दस लाख पर 600 से भी ज्यादा हैं, लेकिन अंग्रेज संक्रमण की रोकथाम के लिए लागू पाबंदियों से ऊब चुके हैं। इसलिए सरकार भी दबाव में है। टीकाकरण तेज होने के साथ ही सार्वजनिक स्थानों पर मास्क पहनने की अनिवार्यता खत्म कर दी गई है।

मध्य लंदन का ऑक्सफोर्ड सर्कल देश का सबसे व्यस्त क्षेत्र है। यहां देर रात तक जुटने वाली भीड़ को देखकर लगता है कि कोरोना अब कहीं है ही नहीं। भीड़ में लोग न तो मास्क पहन रहे हैं, न ही सामाजिक दूरी का पालन होता है। अंडरग्राउंड के नाम से जानी जाने वाली मेट्रो व्यस्त घंटों में खचाखच भरी रहती है। मेट्रो में मास्क पहनने का नियम है, लेकिन 30 फीसदी से कम लोग इसका पालन करते हैं। जो लोग मास्क पहने नजर आते हैं, उनमें से ज्यादातर गैर-अंग्रेज हैं।
टीकाकरण में काफी आगे
कोरोना को लेकर शुरू से ही ब्रिटेन में पाबंदियों का विरोध होता रहा है, लेकिन अच्छी बात यह रही कि सरकार के प्रयासों से टीकाकरण बेहतर हो गया है। टीकाकरण को लेकर पहले 46 फीसदी लोगों में झिझक थी। यह अब घटकर तीन फीसदी रह गई है। ब्रिटेन की साढ़े छह करोड आबादी में से करीब साढ़े पांच करोड़ लोगों को टीके की एक और साढ़े चार करोड़ को दोनों खुराक लग चुकी हैं। 12 साल से ऊपर के बच्चों को एक खुराक देने और बुजुर्गों को 'बूस्टर डोज' देने का काम भी शुरू हो चुका है।
94% आबादी को संक्रमण
राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा (एनएचएस) से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि संक्रमण में कमी आने लगी है। इसके बाद अब कोई नई लहर नहीं आएगी। ब्रिटेन अभी पांचवीं लहर से गुजर रहा है। इस भरोसे की वजह टीकाकरण तो है ही, साथ ही हाल के सिरो सर्वे के नतीजे भी हैं, जो दर्शाते हैं कि ब्रिटेन की करीब 93 से 94 फीसदी आबादी संक्रमण का सामना कर चुकी है।
कोविड पूर्व दौर की वापसी
लंदन समेत ब्रिटेन के ज्यादातर हिस्सों में आम जनजीवन महामारी से पूर्व की स्थिति में लौट चुका है। लोग कोरोना वायरस के साथ जीना सीख चुके हैं। भीड़भाड़ वाले क्लबों आदि में भी चहल-पहल लौट चुकी है, जहां वैक्सीन पासपोर्ट से एंट्री मिलती है। घरेलू आवाजाही में किसी भी प्रकार से कोरोना से जुड़ी पाबंदियां अब नहीं हैं। जहां हैं भी तो लोग उसे मानने को तैयार नहीं हैं।
बड़े आयोजनों का रास्ता साफ
दरअसल, अंतरराष्ट्रीय जलवायु शिखर सम्मेलन 'काप-26' के सफल आयोजन को भी कोरोना के बेहतर प्रबंधन के प्रमाण के रूप में देखा जा रहा है। इस सम्मेलन में 20 हजार लोग शामिल हुए थे और जिस प्रकार से रोजाना जांच कराने की व्यवस्था की गई थी, वह बेहद सफल रही। ग्लास्गो में संक्रमण में वृद्धि नहीं हुई है। इससे बड़े आयोजनों का रास्ता भी साफ हो गया है।
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