सत्ता में आने से पहले इमरान खान ने बड़े लोक लुभावने वादे किए थे। उन्होंने 'नया पाकिस्तान' बनाने की बात भी कही थी। जो पूरी तरह फेल हो चुका है। इन सबके चलते पाकिस्तान में महंगाई बढ़ने की आशंका है। समाचार एजेंसी एएनआइ की एक रिपोर्ट में भी साफ किया गया है कि महंगाई में भारी बढ़ोतरी से मांग में कमी आ सकती है। इसका सीधा असर अर्थव्यस्था पर पड़ेगा।
वहीं पाकिस्तान की टैक्स एजेंसी के पूर्व प्रमुख जैदी ने कहा है कि पाकिस्तान दिवालिया होने के कगार पर पहुंच गया है। चालू खाता घाटा (सीएडी) वित्त वर्ष की पहली छमाही में नौ अरब डॉलर को पार कर चुका है, जो जीडीपी का 5.7 प्रतिशत है। अगर सीएडी इसी तरह बढ़ता रहा, तो पाकिस्तान कर्ज के जाल से निकल नहीं पाएगा। पाकिस्तान पर घरेलू और विदेशी कर्ज 50 हजार अरब पाकिस्तानी रुपये से भी ज्यादा हो चुका है।
पाकिस्तान के पास कर्ज चुकाने के पैसे नहीं है। इमरान खान के कार्यकाल में सरकार ने 20.7 खरब पाकिस्तानी रुपये का नया कर्ज लिया है। चंद दिनों पहले इमरान 300 अरब डॉलर के कर्ज की उम्मीद में चीन गए थे, जो पूरी नहीं हो सकी। जब तक पाकिस्तान का नाम एफएटीएफ की ग्रे सूची में शामिल है, तब तक उसे नया कर्ज भी नहीं मिल सकता। देश में महंगाई आसमान छू रही है।
पाकिस्तानी अखबार डान ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि वैश्विक तेल की कीमतों में बढ़ोतरी के चलते पाकिस्तान के लिए आयात बिल का भुगतान करना मुश्किल होगा।
अखबार डान ने कहा है कि तेल की कीमतों में बढ़ोतरी के कारण पाकिस्तान सरकार को आयात बिल का भुगतान करने में मुश्किल पैदा होगी। रिपोर्ट के मुताबिक, जनवरी से ही उच्च मुद्रास्फीति के कारण लोगों को अभी तक कोई राहत नहीं मिल पाई है। अब पेट्रोल और डीजल की कीमतों में रिकार्ड बढ़ोतरी के कारण महंगाई का एक नया दौर शुरू हो गया है।
बढ़ती मंहगाई का असर निश्चय ही खेती पर भी पड़ेगा. किसानों ने भी उत्पादन की लागत बेतहाशा बढ़ने की आशंका जताई है। पाकिस्तान में खाद की कीमतें पहले से ही किसानों की पहुंच से बाहर हैं।फैक्टरियां और काम-धंधे बंद होने से बेरोजगारी और बढ़ गई है। ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल ने अपनी ताजा रिपोर्ट में इमरान खान सरकार को आसफ अली जरदारी और नवाज शरीफ सरकार से कहीं अधिक भ्रष्ट बताया है। भ्रष्टाचार सूचकांक में पाकिस्तान जहां 2018 में 112वें पायदान पर था, वहीं साल 2021 में 140वें पायदान पर पहुंच गया है।